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विज्ञान
अब इसरो ड्रोन की सहायता से करने वाली है दवाई और खाने की होम डिलीवरी, यहां जानें कैसे
Tara Tandi
20 May 2021 6:40 AM GMT
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इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) को अब तक आपने रॉकेट और अंतरिक्ष यान को लॉन्च करते हुए देखा है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) को अब तक आपने रॉकेट और अंतरिक्ष यान को लॉन्च करते हुए देखा है. लेकिन अब भारत की यह स्पेस एजेंसी ड्रोन की मदद से दवाईयों और खाने की डिलीवरी करने वाली है. एजेंसी ने ड्रोन पर आधारित डिलीवरी सिस्टम को आंध्र प्रदेश के सुलुरपेट टाउन में स्थित इसरो की रेजीडेंशियल कॉलोनी में प्रयोग के तौर पर परखा है.
इसरो ने किया ड्रोन का ट्रायल
कुछ दिनों पहले ही इसरो ने अपनी कॉलोनी में दवाईयों और खाने की डिलीवरी के लिए ड्रोन का प्रयोग किया. इसरो के अधिकारियों को दरअसल कुछ समय पहले चेन्नई स्थित गरुण एयरोस्पेस के ड्रोन के बारे में पता लगा था. इस ड्रोन का प्रयोग बेंगलुरु के अस्पतालों में दवाईयों की डिलीवरी के लिए किया जा रहा था. गरुण एयरोस्पेस की तरफ से बनाए गए व्हाइट नाइट ड्रोन का प्रयोग इसरो ने ट्रायल के लिए किया था.
600 घरों पर हुआ सफल ट्रायल
एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि इसरो के अधिकारियों को जब इस बारे में पता लगा तो उन्होंने टेस्ट्स पर जोर दिया. साथ ही कई और मकसदों को पूरा करने के लिए ड्रोन के प्रयोग पर बल दिया. इसरो के एक अधिकारी ने बताया कि उनके कंट्रोलर ने व्हाइट नाइट ड्रोन पर आए एक आर्टिकल के बारे में उस समय पढ़ा था जब उन्हें बेंगलुरु के अस्पतालों में तैनात किया गया था. इसके बाद अधिकारियों से गरुण एयरोस्पेस से संपर्क करने के लिए कहा गया था. सुलुरपेट में स्थित इसरो की तीन रेजीडेंशियल हाउसिंग कॉलोनी में 2000 घर हैं. इन्हीं घरों में से 600 घरों को ट्रायल के लिए चुना गया था.
एक स्टार्टअप का हिस्सा है ड्रोन
गरुण एयरोस्पेस ने ड्रोन सर्विस को एक स्टार्ट अप के तौर पर शुरू किया था. साल 2015 में गरुण एयरोस्पेस की शुरुआत अग्निश्वर जयप्रकाश ने की थी. इस कंपनी के ड्रोन को अब तक कई प्राकृतिक आपदाओं के दौरान रेस्क्यू ऑपरेशन में तैनात किया जा चुका है. साल 2020 में कंपनी के ड्रोन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में सैनिटाइजेशन के प्रोग्राम को अंजाम दिया था.
तय कर सकता है 60 किलोमीटर का सफर
भारत सरकार की तरफ से कंपनी को कोविड-19 से लड़ने के लिए करीब 15 मिलियन डॉलर की राशि मुहैया कराई गई है. इस स्टार्ट अप ने जून 2020 में सरकार की उस समय मदद की थी जब राजधानी दिल्ली में टिड्डी दल दाखिल हो गया था. व्हाइट नाइट ड्रोन पूरी तरह से टेंप्रेचर कंट्रोल्ड मॉड्यूल पर आधारित है. यह ड्रोन 35 से 40 किलोग्राम तक का वजन उठाकर 50 से 60 किलोमीटर का सफर तय कर सकता है. करीब दो घंटे तक यह इतना वजन उठाकर अपने मिशन को पूरा करने की क्षमता रखता है.
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