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10 लाख तिब्बती बच्चों को उनके परिजनों से अलग करने की खबर गलत : चीनी विदेश मंत्रालय

Rani Sahu
16 March 2023 10:03 AM GMT
10 लाख तिब्बती बच्चों को उनके परिजनों से अलग करने की खबर गलत : चीनी विदेश मंत्रालय
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ल्हासा । संयुक्त राष्ट्र के विशेष रिपोर्टर ने दावा किया था कि चीन ने 10 लाख तिब्बती बच्चों को उनके परिवारों से अलग किया है। उन्हें धार्मिक, सांस्कृतिक और भाषाई रूप से प्रमुख हान चीनी संस्कृति में आत्मसात करने के अपने मकसद से जबरन बोर्डिंग स्कूलों में रखा गया है। मगर, चीन ने इन दावों को खारिज कर दिया है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने कहा, यह निश्चित रूप से सच नहीं है। यह स्पष्ट रूप से चीन के बारे में जनता को गुमराह करने और चीन की छवि खराब करने के लिए लगाया गया एक और आरोप है।
माओ निंग ने कहा, जैसा कि आमतौर पर दुनिया भर में देखा जाता है, यहां भी बोर्डिंग स्कूल हैं। इन्हें स्थानीय छात्रों की जरूरतों को पूरा करने के लिए चीनी प्रांतों और क्षेत्रों में खोला गया है। ये स्कूल आवास, खान-पान और अन्य बोर्डिंग सेवाएं प्रदान करते हैं। यहां कठोर सैन्य अनुशासन नहीं है। इसकी जगह, मॉडरेट सैन्य अनुशासन लागू है, ताकि बच्चों का सर्वांगीण विकास हो।
रिपोर्ट के अनुसार, यह मामला उस समय में आया है, जब उइगरों के मानवाधिकारों के उल्लंघन पर सच्चाई को नकारने में चीन कठिन समय का सामना कर रहा है। बता दें कि उइगर, शिनजियांग के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में रहने वाले मुस्लिम जातीय समूह हैं।
6 फरवरी को जेनेवा में जारी संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के बयान में यह खुलासा हुआ कि चीनी सरकार बोर्डिंग स्कूलों की एक श्रृंखला चला रही है। वहां लगभग दस लाख तिब्बती बच्चों की तिब्बती सांस्कृतिक पहचान को जबरन मिटाने और चीनी हान संस्कृति में उनका ब्रेनवाश करने के लिए रखा गया है।
इसकी प्रतिक्रिया में चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, चीन के तिब्बत के मामले में यह उच्च ऊंचाई वाला क्षेत्र है और कई क्षेत्रों में अत्यधिक बिखरी हुई आबादी है। चरवाहे परिवारों के बच्चों को स्कूल जाने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। यदि छात्रों के रहने वाले हर स्थान पर विद्यालय बनाए जाएं, तब हर स्कूल में पर्याप्त शिक्षक और शिक्षण की गुणवत्ता सुनिश्चित करना बहुत कठिन होगा।
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