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बुधवार को संसद चुनेगी नया राष्ट्रपति, विक्रमसिंघे के हाथ से निकली बाजी?
Kajal Dubey
19 July 2022 6:43 PM GMT
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श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के नेता सजित प्रेमदासा ने बाजी पलटने की चाल चली है। इस चुनाव में कार्यवाहक राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे की राह अब आसान नहीं रह गई है। पहले समझा जा रहा था कि सत्ताधारी श्रीलंका पोडुजजना पेरामुना (एसएलपीपी) का समर्थन होने के कारण व्रिकमसिंघे की जीत तय है। लेकिन सजित प्रेमदासा ने राष्ट्रपति पद की होड़ से खुद को हटा लिया। अपनी जगह उन्होंने सत्ताधारी एसएलपीपी के सांसद डलास अलाहाप्पेरुमा का नाम प्रस्तावित कर दिया।
श्रीलंका की संसद बुधवार को नए राष्ट्रपति का चुनाव करेगी। मंगलवार को इस पद के लिए उम्मीदवारों के पर्चे स्वीकार किए गए। सजित प्रेमदासा ने पहले चुनाव लड़ने का एलान किया था। लेकिन सोमवार को बने नए समीकरणों के तहत उन्होंने खुद को होड़ से अलग कर लिया। प्रेमदासा ने कहा है कि अलाहाप्पेरुमा ने देश को आर्थिक संकट से निकालने के लिए एक ठोस कार्यक्रम सामने रखा है और इसलिए वे उनका समर्थन कर रहे हैं। वामपंथी पार्टी जनता विमुक्ति पेरामुना के नेता अरुणा कुमारा दिसानायके ने भी राष्ट्रपति पद के लिए पर्चा भरा है। लेकिन पर्यवेक्षकों में इस बात पर आम राय है कि मुख्य मुकाबला विक्रमसिंघे और अलाहाप्पेरुमा के बीच ही होगा।
श्रीलंका के संविधान के मुताबिक बीच कार्यकाल में निर्वाचित राष्ट्रपति के हट जाने पर संसद नए राष्ट्रपति का चुनाव करती है। देश में चल रहे जोरदार सरकार विरोधी आंदोलन के कारण 2019 के चुनाव में विजयी हुए गोटाबया राजपक्षे 13 जुलाई को देश छोड़ कर भाग गए। बाद में उन्होंने अपना इस्तीफा भेज दिया। उनकी जगह को भरने के लिए ही बुधवार को चुनाव होगा। श्रीलंका की संसद में 225 सदस्य हैं। बताया जाता है कि उनमें दर्जन भर देश से बाहर हैं। हालांकि कुछ रिपोर्टों में बताया गया है कि बाहर गए सांसदों में से कई मंगलवार रात तक देश लौट आएंगे।
उधर, श्रीलंका फ्रीडम पार्टी (एसएलएफपी) ने कहा है कि किसी एक उम्मीदवार पर आम सहमति न बनने के कारण वह बुधवार के चुनाव में भाग नहीं लेगी। इस पार्टी के 15 सांसद हैं। लेकिन वेबसाइट इकोनॉमीनेक्स्ट.कॉम ने एक रिपोर्ट में बताया है कि एसएलएफपी के कम से कम दस सांसद पार्टी निर्देश का उल्लंघन करते हुए वोट डालेंगे। एसएलएफपी के अध्यक्ष और पूर्व राष्ट्रपति मैत्रिपाला सिरिसेना ने आरोप लगाया है कि उनकी पार्टी के सांसदों को खरीदने के लिए बड़ी मात्रा में धन दिया जा रहा है।
समझा जाता है कि सत्ताधारी एसएलपीपी में फैले असंतोष का फायदा डलास अलाहाप्पेरुमा को मिल सकता है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक पार्टी के कम से कम 105 सांसद अपनी निजी शिकायत लेकर कार्यवाहक राष्ट्रपति से मिल चुके हैं। इनमें से कई सांसदों के घर हाल के जनआंदोलन के दौरान जला दिए गए। उन सांसदों ने विक्रमसिंघे से अपने लिए आवास का इंतजाम करने की मांग की।
एसएलपीपी के महासचिव सागरा करियावसम ने एक बयान जारी कर कहा है कि उनकी पार्टी विक्रमसिंघे का समर्थन करेगी। लेकिन पार्टी के अध्यक्ष जीएल पीरिस ने तुरंत इसका खंडन कर दिया। डलास अलाहाप्पेरुमा के पर्चे पर अनुमोदक के रूप में पीरिस ने दस्तखत किया है। इसे एसएलपीपी में बंटवारे का संकेत माना गया है। इसी कारण अलाहाप्पेरुमा की उम्मीदवारी मजबूत हो गई है।
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