अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा एक रॉकेट की मदद से मंगल ग्रह से मिट्टी और चट्टानों के नमूने लाएगी। इसे बनाने के लिए एजेंसी ने लॉकहीड मार्टिन स्पेस लिटिलटन कंपनी को जिम्मा सौंपा गया है। यह कंपनी मार्स एसेंट व्हीकल (एमवी) बनाएगी। इसके जरिये मंगल की सतह से अंतरिक्ष में यान तक चट्टानों, मिट्टी और हवाओं के नमूनों को पहुंचाया जाएगा।
इन नमूनों को पृथ्वी तक लाने की तैयारी मार्स सैंपल रिटर्न प्रोग्राम के तहत होनी है जिसकी भी तैयारियां चल रही हैं। इस काम के लिए यह पहली रोबोटिक यात्रा होगी और एमवी को मंगल तक भेजा जाएगा। जो कि एक छोटा और कम भार वाला रॉकेट होगा।
एमएवी किसी दूसरे ग्रह से प्रक्षेपित किया जाने वाला पहला रॉकेट होगा। इसके साथ ही अभियान में शामिल नासा का सैंपल रिटर्न लैंडर एमएवी को मंगल की सतह पर ले जा कर जेजीरो क्रेटर या उसके पास उतारेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि यह पहली बार होगा जब किसी दूसरे ग्रह से नमूने पृथ्वी पर आएंगे। एक बार पृथ्वी पर पहुंचने के बाद इनका अध्ययन हो सकेगा।
2026 में होगा प्रक्षेपित
लैंडर को साल 2026 के शुरुआत में नासा के केनेडी स्पेस सेंटर से प्रक्षेपित किया जाएगा। लॉकहीड मार्टिन स्पेस बहुत सारी एमएवी टेस्ट यूनिट और एक फ्लाइट यूनिट भी मुहैया कराएगी। इसमें जमीन से सहयोग लेने वाले उपकरण भी शामिल होंगे।
वापस आना भी कठिन काम
नासा विशेषज्ञों का कहना है कि यह केवल मंगल ग्रह पर कोई यान भेजने जैसा अभियान नहीं है बल्कि, मंगल से भी प्रक्षेपित होकर वापस आने का अभियान है। यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ईएसए) के अंतरिक्ष यान पर ही नासा का कैप्चर, कंटेनमेंट और रिटर्न सैंपल पेलोड लगा होगा। जिसमें कंटेनर पहुंचने के बाद यान पृथ्वी की ओर साल 2030 के मध्य तक लौटेगा। इन नमूनों को लाना एक जटिल काम है। एमएवी को मंगल के वातावरण को झेलने के लायक होना होगा। तभी वह दूसरे अंतरिक्ष यान के साथ मिलकर काम कर सकेगा।
कई रहस्यों से उठेगा पर्दा
मंगल पर उतरे नासा के अंतरिक्षयान पर्सिवियरेंस रोवर द्वारा जमा किए गए नमूनों से ग्रह के पुरातन इतिहास की जानकारी मिलेगी। इस बात की भी पुष्टि हो सकेगी कि क्या मंगल पर कभी जीवन रहा था या नहीं। इसके अलावा भी इन नमूनों से बहुत से रहस्यों से पर्दा उठ सकेगा। पर्सिवियरेंस नासा की ओर से मंगल पर उतारा गया दूसरा एक टन वजन का रोवर है।