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बीजिंग, (आईएएनएस)| इस वर्ष की 13 से 19 जुलाई तक दक्षिण पश्चिम चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के उत्तरी इलाके स्थित नाछ्यु प्रिफेक्चर के श्वांगहु कांउटी के तोमा कस्बे में स्थानीय चरवाहे अपने पारिस्थितिक पुनर्वास की तैयारी करने के काम में काफी व्यस्त दिखे। क्योंकि 19 जुलाई से इन लोगों ने वहां से करीब 700 किमी. दूर के शानान प्रिफेक्च र में नए बनाए गए सेंनबुरी नाम के केंद्रीकृत पुनर्वास स्थल में स्थानांतरण करना शुरू किया। वास्तव में यह सिर्फ़ तिब्बत में ऊंची जगह पर रहने वाले चरवाहों के स्थानांतरण की एक बहुत ही छोटी सी झलक है। यह इधर के वर्षों में श्वांगहु कांउटी में स्थानांतरित किए गए किसानों और चरवाहों का दूसरा बैच है। वर्ष 2019 में श्वांगहु कांउटी में पारिस्थितिक पुनर्वास के पहले बैच का काम पूरा किया गया था। जिस दौरान श्वांगहु कांउटी में तीन कस्बे के लगभग 2900 लोगों को स्थानांतरित किया गया था।
हो सकता है कुछ लोग ये पूछते हैं कि उन्हें क्यों स्थानांतरित किया जा रहा है? ऐसा इसलिये क्योंकि तिब्बत में समुद्र तल से 4,500 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले स्थानों में लोगों का जीवन काफी जटिल होता है। यहां का मौसम काफी कठोर है और यहां की जमीन अन्य क्षेत्रों की तुलना में कम उपजाऊ मानी जाती है। साथ ही हाल के वर्षों में ग्लोबल वामिर्ंग और आबादी में वृद्धि होने जैसे कारणों से, यहां मानव, पशु और जंगली जानवरों के बीच अंतर्विरोध एक प्रमुख मुद्दा बना हुआ है। इसके अलावा यहां घास के मैदान भी अब खराब होने लगे हैं।
दूसरी तरफ, अत्यधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में रहने वाले लोगों का स्वास्थ्य लंबे समय से ज्यादा ऊंचाई और खराब जलवायु से प्रभावित होता है। यहां के लोग ज्यादा ऊंचाई वाले गठिया, गाउट और हृदय रोग आदि बीमारियों का शिकार हैं। लेकिन इन लोगों के लिये चिकित्सा सेवा लेना, बच्चों के लिये स्कूल में जाना भी काफी मुश्किल होता है।
इन सारी समस्याओं को नजर में रखते हुए, हाल के वर्षों में चीन सरकार ने पारिस्थितिक पुनर्वास योजना तैयार की, जिसमें पारिस्थितिकी संरक्षण एवं बेहतर जीवन के लिए लोगों की मांग को ध्यान में रखा गया है। आकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2020 के अंत तक, तिब्बत में कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में कुल मिलाकर 964 केंद्रीकृत पुनर्वास स्थलों का निर्माण किया गया। जिनमें करीब 60 हजार से अधिक पुनर्वास मकानों के निर्माण का काम पूरे हो चुका है। साथ ही अत्यधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में रहने वाले 2 लाख 66 हजार से अधिक आबादी को स्थानांतरित किया गया है। पुनर्वास स्थलों पर नए मकान, पानी, बिजली, चिकित्सा और शिक्षा जैसी सुविधाएं आसानी से प्राप्त की जा सकती हैं।
इन सुविधाओं के अलावा, स्थानांतरित लोग नए पुनर्वास स्थलों में जीविका के लिए किस आय के स्रोत पर निर्भर हैं? यह सबसे महत्वपूर्ण बात मानी जाती है। सबसे पहले, सरकार की तरफ से स्थानांतरित लोगों को कुछ पुनर्वास वित्तीय सब्सिडी दी जाती है। साथ ही, स्थानीय सरकार ने पुनर्वास स्थल में कुछ कृषि आधार और आधुनिक चरागाह समेत अन्य उद्योगों को तैयार रखा है। ताकि स्थानांतरित चरवाहों की नौकरी में मदद मिल सके। इसके अलावा स्थानीय सरकार अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने वालों के लिये नीतिगत सहायता और मदद भी प्रदान करती है,ताकि स्थानांतरित लोगों की आय में गारंटी दी जा सके। यह स्थानांतरण न केवल पारिस्थितिकी की रक्षा के लिए है, बल्कि अत्यधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में रह रहे लोगों के बेहतर और सुखी जीवन के लिए भी है।
वर्तमान में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की 20वीं राष्ट्रीय कांग्रेस का आयोजन राजधानी पेइचिंग में किया जा रहा है। सीपीसी केंद्रीय कमेटी के महासचिव शी चिनफिंग ने कार्य रिपोर्ट प्रस्तुत करते समय बल दिया कि सत्ता ही जनता है और जनता ही सत्ता है। हमें बेहतर जीवन के प्रति जनता की आकांक्षा पूरी करनी है। शी ने कार्य रिपोर्ट में विशेष तौर पर चीन में अति गरीबी दूर कर देश में चौतरफा तौर पर प्रारंभिक समृद्धि वाले समाज का निर्माण पूरा करने का उल्लेख किया। यह चीनी राष्ट्र के विकास में एक ऐतिसाहिक विजय है और पूरे विश्व के लिए दूरगामी प्रभाव संपन्न ऐतिहासिक विजय भी है। ऐसा कहा जा सकता है कि तिब्बत में पारिस्थितिक पुनर्वास योजना सीपीसी केंद्रीय कमेटी के महासचिव शी चिनफिंग के शब्दों की अच्छी पुष्टि है। तिब्बत में पारिस्थितिक पुनर्वास योजनाओँ में बड़ी उपलब्धियां हासिल की गई हैं। लेकिन अभी तक, कुछ चरवाहे सुदूर ऊंचाई वाले क्षेत्रों में रह रहे हैं, और उनके रहने की स्थिति अभी भी कठिन है। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व में तिब्बत में पारिस्थितिक पुनर्वास योजना आगे भी जारी रहेगी।
Rani Sahu
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