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अफगानिस्तान में तालिबान का राज होने से यहां सांस्कृतिक आपदा की स्थिति हो गई है
अफगानिस्तान में तालिबान का राज होने से यहां सांस्कृतिक आपदा की स्थिति हो गई है। संयुक्त राष्ट्र (यूएन) विशेषज्ञ ने वर्तमान हालात में अफगानिस्तान में मानवाधिकारों के लिए लड़ने वाले लोगों की सुरक्षा के लिए कदम उठाने की अपील की है।
सांस्कृतिक अधिकारों के क्षेत्र में संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत करीमा बेननौन ने कहा कि यह दुख की बात है कि दुनिया ने अफगानिस्तान को तालिबान जैसे कट्टरपंथी संगठन के लिए छोड़ दिया है, जिसका मानवाधिकारों के संबंध में पहले से ही रिकार्ड बेहद खराब है। उसके द्वारा क्रूर तरीके से सजा देने, लिंग भेद सबंधी अत्याचार और सुनियोजित तरीके से सांस्कृतिक विरासत का विध्वंस किया जाना जगजाहिर है।
अशरफ गनी की सरकार के काबुल से पतन के बाद तालिबान पूरी तरह अराजकता पर उतर आया है। बेननौन ने याद दिलाया कि तालिबान ने अफगानिस्तान में 2001 में संग्रहालय पर हमला करके वहां मौजूद धरोहरों को टुकड़े-टुकड़े कर दिया था। यही नहीं उसने संगीत सहित कई सांस्कृतिक प्रथाओं पर प्रतिबंध लगा दिया था।
अब यह काफी नहीं है कि दुनिया के देश अपने नागरिकों को सुरक्षित यहां से ले जाएं। सभी देशों की यह नैतिक और कानूनी जिम्मेदारी है कि वह अफगानिस्तान में रहने वाले लोगों के अधिकारों के प्रति भी उतने ही चिंतित हों और उनके काम करने, शिक्षा और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के लिए सख्त निर्णय लें। यदि ऐसा नहीं हुआ तो अफगानिस्तान को सांस्कृतिक विनाश का सामना करना पड़ेगा।
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