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मकबरों पर रिसर्च कानूनी रूप से प्रतिबंधित
टोक्यो : प्राचीन जापानी मकबरों को लेकर पहली बार एक विश्लेषण किया गया है। इन मकबरों को कोफुन के नाम से जाना जाता है। पोलिटेक्निको डि मिलानो के रिसर्च ग्रुप ने पहली बार इन पर अध्ययन किया है जो पहले कभी नहीं किया गया था, क्योंकि इस क्षेत्र में आमतौर पर बड़ी संख्या में स्मारकों तक पहुंच प्रतिबंधित है। लेकिन अब हाई-रिज़ॉल्यूशन सैटेलाइट तस्वीरों ने इन शानदार प्राचीन मकबरों की वास्तविक प्रकृति और खूबसूरती का खुलासा किया है।
शोधकर्ताओं के अनुसार इन मकबरों का मुख उगते हुए सूर्य की ओर है। ऐसा माना जाता है कि इनका संबंध देवी अमेतरासु की कहानी से है, जिसे जापानी सम्राट अपने राजवंश की पौराणिक उत्पत्ति से जोड़ते थे। जापानी द्वीपों में सैकड़ों प्राचीन मकबरे मौजूद हैं जिनमें से सबसे बड़े कीहोल के विशेष आकार के हैं और कोफुन कहलाते हैं। इनका निर्माण तीसरी और सातवीं शताब्दी ईस्वी के बीच हुआ था। सबसे भव्य मकबरों का संबंध शुरुआती सम्राटों से हैं।
दुनिया का सबसे बड़ा मकबरा
माना जाता है कि छोटे मकबरे शाही परिवार के सदस्यों और न्यायालय के अधिकारियों के हैं। Daisen Kofun नाम का मकबरा पृथ्वी पर देखे जाने वाले अब तक के सबसे बड़े स्मारकों में से एक है। इसकी लंबाई लगभग 486 मीटर और ऊंचाई लगभग 36 मीटर है। यह परंपरागत रूप से जापान के सोलहवें सम्राट निंटोकू का है। यह विशालकाय मकबरा, मकबरों की उस सूची में शामिल है जिसे हाल ही में यूनेस्को ने विश्व धरोहर की लिस्ट में शामिल किया है।
मकबरों पर रिसर्च कानूनी रूप से प्रतिबंधित
इतिहासकारों और पुरातत्वविदों को अभी तक इन कब्रों पर कोई लिखित स्रोत नहीं मिले हैं। इन मकबरों पर रिसर्च करना बेहद मुश्किल है। चूंकि सबसे बड़े मकबरों को शुरुआती सम्राटों का माना जाता है इसलिए उन पर अध्ययन करना जापानी कानून के तहत कड़ाई से प्रतिबंधित है। लेकिन नए अध्ययन ने मकबरों की तस्वीरें पहली बार दुनिया के सामने रखी हैं जो कई रहस्यों से पर्दा उठा सकती हैं।
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