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PAK नहीं चीन है टारगेट? समझिए INS अरिहंत से अग्नि-P मिसाइल के परीक्षण के मायने

HARRY
23 Oct 2022 7:06 AM GMT
PAK नहीं चीन है टारगेट? समझिए INS अरिहंत से अग्नि-P मिसाइल के परीक्षण के मायने
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स्वदेशी हथियारों और मिसाइलों की तरफ देश तेजी से आगे बढ़ता जा रहा है. विदेशी मुल्क ये बढ़त देख परेशान है. खासतौर पर आतंक परस्त पाकिस्तान और विस्तारवादी नियत रखने वाला चीन. भारत भी इनको चिढ़ाने का कोई मौका नहीं छोड़ता. भारत की खतरनाक 'अग्नि प्राइम' मिसाइल का तीसरी बार सफल परीक्षण किया. यह नई पीढ़ी की मीडियम रेंज बैलिस्टिक मिसाइल है. सबसे खास बात ये है कि इसे पूरी तरह देश में विकसित किया गया. इसकी रेंज में पाकिस्तान और चीन हैं.

एक बात पर गौर करना चाहिए कि ये परीक्षण तब किया गया जब अमेरिकी ने अरब सागर में गुजरात और पाकिस्तान की जलसीमा के पास अपनी महाविनाशक परमाणु पनडुब्बी 'यूएसएस वेस्ट वर्जीनिया' को तैनात किया. इसका सार्वजनिक ऐलान भी किया गया. जबकि अमेरिका कभी भी अपने परमाणु तैनातियों को नहीं बताता. ये बताता है कि भारत और अमेरिका साउथ चाइना सी में चीन के बढ़ते दबदबे को रोकना चाहते हैं. चूंकि इस वक्त रूस-चीन की दोस्ती भी मजबूत हो गई है ऐसा में ये खतरा और भी ज्यादा बढ़ गया है.

क्या है अमेरिका का इससे कनेक्शन?

मिसाइल विशेषज्ञों के अनुसार अग्नि-पी की डेवलपमेंट टेस्टिंग तीन परीक्षणों के साथ पूरी हो गई. इसमें सबसे पहला पहला 28 जून, 2021 को बालासोर में और दूसरा 18 दिसंबर, 2021 और तीसरा 21 अक्टूबर को किया गया था. फ्लेक्सी के साथ 10 मीटर लंबी मिसाइल नोजल और कम्पोजिट मोटर को मोबाइल लॉन्चर से दागा जा सकता है. हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक आमतौर पर भारत में सर्दियों के महीनों का उपयोग आम तौर पर टेस्टिंग फायरिंग और परीक्षणों के लिए किया जाता है.

लेकिन अमेरिका ने तीन दिन पहले अरब सागर में गुजरात और पाकिस्तान की जलसीमा के पास अपनी महाविनाशक परमाणु पनडुब्बी को तैनात किया. इतना ही नहीं अमेरिका ने परमाणु बम से लैस मिसाइलों को ले जाने में सक्षम पनडुब्बी 'यूएसएस वेस्ट वर्जीनिया' के तैनाती का सार्वजनकि तौर पर ऐलान भी किया. ऐसा अपने आप में ही अनोखा मामला है. जबकि अमेरिकी कभी भी अपनी परमाणु तैनाती के बारे में खुलेआम नहीं बताता.

तीनों चरण पूरे, भारत की शक्ति दोगुनी

मीडियम रेंज की परमाणु अग्नि-पी मिसाइल का सफल परीक्षण और विकास 21 अक्टूबर को पूरा हो गया. स्ट्रैटजिकल फोर्सेस में शामिल होने के बाद मिसाइल 1000-2000 किमी की सीमा में प्रमुख हथियार बन जाएगी. अग्नि -5 पड़ोसी शत्रु देशों के खिलाफ भारत को पूरी सुरक्षा प्रदान करेगी. रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) अग्नि-5 की तुलना में लंबी दूरी की मिसाइल का उत्पादन कर सकता है लेकिन इसके लिए मोदी सरकार को अपने परमाणु विकल्पों में संशोधन करना होगा और लंबी दूरी की डिलीवरी प्लेटफॉर्म को मंजूरी देनी होगी. मिसाइल विशेषज्ञों के अनुसार अग्नि-पी की डेवलपमेंट टेस्टिंग तीन परीक्षणों के साथ पूरी हो गई. इसमें सबसे पहला पहला 28 जून, 2021 को बालासोर में और दूसरा 18 दिसंबर, 2021 और तीसरा 21 अक्टूबर को किया गया था. फ्लेक्सी के साथ 10 मीटर लंबी मिसाइल नोजल और कम्पोजिट मोटर को मोबाइल लॉन्चर से दागा जा सकता है.

क्वाड को मजबूत करना चाहता है यूएस

भारत ने इस महीने अपनी बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत से बैलिस्टिक मिसाइल टेस्टिंग का ऐलान किया था. इसके साथ जापान-ऑस्ट्रेलिया रक्षा सहयोग को बढ़ाने के साथ-साथ यूएस पैसिफिक कमांडर ने सार्वजनिक बयान दिया गया कि भारत क्वाड ग्रुपिंग के भविष्य के लिए इंडो-पैसिफिक में वाशिंगटन का अपरिहार्य सहयोगी था. इंडो-पैसिफिक में अमेरिका और भारत दोनों द्वारा रणनीतिक संदेश उस समय आया जब राष्ट्रपति शी जिनपिंग तीसरी बार फिर से चुने गए. राष्ट्रपति शी जिनपिंग के पास पूरी तरह से चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की कमान है. शी जिनपिंग और रूस प्रेसिडेंट पुतिन की नजदीकियां काफी हद तक बढ़ती जा रही हैं. रूस वहां यूक्रेन पर कब्जा जमाना चाहता है और चीन की नियत भारत के अरुणाचल और ताइवान पर है. ऐसे में ये दोस्ती खतरनाक है

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