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अपने शरीर को छिपाने के लिए लंबे और ढीले-ढाले कपड़े पहनने के लिए बाध्य किया जाता है।
ईरान में एक महिला को हिजाब नियमों के खिलाफ बोलना इतना महंगा पड़ गया कि उसे अपनी जान गवांनी पड़ी। कुछ महीनों पहले एक ईरानी मानवाधिकार महिला कार्यकर्ता ने सार्वजनिक रूप से हिजाब हटाने का आग्रह किया था, जिसके बाद सख्त कानूनों के तहत उसे गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस हिरासत में लिए जाने के बाद महिला की स्थिति बिगड़ी और वह कोमा में चली गई, जिससे उसकी मौत हो गई। इस घटना को लेकर शुक्रवार को सैकड़ों लोगों ने सड़कों और सोशल मीडिया पर अपना विरोध दर्ज किया।
पुलिस पर अत्याचार के आरोप
इस घटना के संबंध में सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में महिलाओं पर पुलिस का अत्याचार देखा जा सकता है। वीडियो में उन महिलाओं के खिलाफ पुलिस इकाइयों ने सख्त कार्रवाई देखी जा सकती है, जिन्होंने अपना हिजाब हटा दिया था। राज्य मीडिया ने बताया कि राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी के हस्तक्षेप के बाद अधिकारियों ने महसा अमिनी की मौत की जांच शुरू की। हालांकि इस मामले से पुलिस ने अपना पल्ला झाड़ लिया है और महिला के साथ मारपीट करने से इनकार किया है। पुलिस ने कहा कि 22 वर्षीय महिला को जब हिरासत में लिया गया, तब उसकी तबीयत खराब हो गई। पुलिस ने कहा कि महिला के साथ मारपीट नहीं की गई थी।
सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में महिला एक पुलिस अधिकारी से बात करने के लिए उठते ही गिर जाती है, हालांकि समाचार एजेंसी रायटर्स इस वीडियो की सत्यता की पुष्टि नहीं की है। पुलिस ने पहले बताया था कि महिला को समझाने-बुझाने के लिए हिरासत में लिया गया। मृतक महिला के रिश्तेदारों ने महिला को दिल की कोई बीमारी होने से भी इनकार किया है, ऐसा कहा जा रहा था कि महिला को दिल से संबंधित बीमारी थी। इस घटना के बाद कई नेताओं ने इसकी निंदा की है।
क्या है ईरान में हिजाब कानून
Amnesty International ग्रूप ने ट्वीट किया, 'हिरासत में प्रताड़ना और अन्य दुर्व्यवहार के आरोपों की आपराधिक जांच होनी चाहिए। सभी लोगों और जिम्मेदार अधिकारियों को जांच में सहयोग करना चाहिए।' बता दें कि 1979 की क्रांति के बाद ईरान में लगाए गए शरिया (इस्लामी) कानून के तहत, महिलाओं को अपने बालों को ढंकने और अपने शरीर को छिपाने के लिए लंबे और ढीले-ढाले कपड़े पहनने के लिए बाध्य किया जाता है।
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