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भारत ने किया बड़ा सराहनीय काम
जनता से रिश्ता वेब डेस्क। यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से दुनिया के कई देशों में खाने-पीने के सामानों की किल्लत और बढ़ गई, बल्कि उन देशों के लिए सूरते हाल और मुश्किल हो गई जहां पहले से लड़ाई चल रही थी. इस देशों में एक यमन भी है. यहां पिछले कई सालों से गृह युद्ध जारी है. यमन में अकाल, भुखमरी और भोजन की कमी एक आम समस्या है. लेकिन जब यूक्रेन और रूस के बीच लड़ाई का आगाज़ हुआ तो यमन में भोजन का संकट और बढ़ गया.
मुश्किल वक्त में भारत सामने आया
दरअसल, रूस और यूक्रेन दुनिया के लगभग 29 प्रतिशत गेहूं का उत्पादन करते हैं. अब दोनों देशों के बीच लड़ाई की शुरुआत हुई तो गेहूं निर्यात और शिपमेंट में बाधाएं बढ़ गई और अनाज की कीमतों में भी तेजी से इजाफा हुआ. इस महंगाई का असर यमन में और ज्यादा पड़ा. यमन में संघर्ष और महंगाई ने लाखों लोगों को अकाल की कगार पर धकेल दिया. लेकिन इस मुश्किल वक्त में भारत सामने आया और भारत ने पिछले तीन महीने में 2,50,000 गेहूं यमन में निर्यात किया है.
संयुक्त राष्ट्र ने भारत के इस कदम को सराहा
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारतीय विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव प्रकाश गुप्ता ने सोमवार को यमन पर ब्रीफिंग के दौरान कहा था कि जरूरतमंद देशों को भारत खाद्य और आर्थिक मदद कर रहा है. अब संयुक्त राष्ट्र में आपातकालीन राहत की समन्वयक और मानवीय मदद की असिस्टेंट महासचिव जॉयस एमसुया ने भारत के इस कदम को सराहा है.
भारत ने खाद्य सुरक्षा को लेकर दिया अहम योगदान
जॉयस एमसुया ने यमन में भारत ने खाद्य सुरक्षा को लेकर अहम योगदान दिया है जो हकीकत में काबिले तारीफ है. जॉयस ने यमन में खाने पीने के 90 फीसदी सामान बाहर से मंगवाए जाते हैं. लेकिन रूस और यूक्रेन जंग के सप्लाई चेन बुरी तरह से प्रभावित हुई है. लेकिन भारत ने इस मुश्किल घड़ी में यमन को लेकर बड़ा योगदान दिया है. इस पर प्रकाश गुप्ता ने जॉयस को शुक्रिया कहा है कि उन्होंने भारत के योगदान को सराहा है.
Teja
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