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लेकिन उन पर हमला अनुचित था।
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने सलमान रुश्दी पर हुए हमले को लेकर दिए गए बयान से पलटी मार ली है। इमरान ने कहा है कि उनके बयान को ब्रिटिश पब्लिकेशन द गार्जियन ने गलत संदर्भ में पेश किया है। दरअसल, इमरान खान ने द गार्जियन को दिए गए इंटरव्यू में सलमान रुश्दी पर हुए हमले को भयानक और दुखद बताया था। उन्होंने कहा था कि सलमान रुश्दी के उपन्यास 'द सैटेनिक वर्सेज' को लेकर इस्लामी जगत में नाराजगी समझ में आती है, लेकिन उन पर हमला अनुचित था।
कट्टरपंथियों ने इमरान के खिलाफ खोला मोर्चा
दरअसल, इमरान खान के इस बयान के बाद पाकिस्तान में बवाल मच गया। देश भर के कट्टरपंथियों ने इमरान खान के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। सोशल मीडिया पर उनके बयान को इस्लाम का तौहीन करार दिया गया। ऐसे में पाकिस्तान में जल्द होने वाले आम चुनाव को देखते हुए इमरान खान ने पलटी मारना ही उचित समझा। उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ ने इमरान खान की तरफ से ट्वीट करते हुए सफाई दी है।
इमरान खान ने सफाई में क्या कहा?
पीटीआई के ट्वीट में इमरान खान की तरफ से कहा गया, ''द गार्जियन ने मेरे भाषण को आउट ऑफ कॉन्टेक्स्ट लिया है। मैंने पापी सलमान रुश्दी को भारत आमंत्रित करने के कारण सेमिनार में भाग लेने से इनकार कर दिया था। इंटरव्यू में मैंने ईशनिंदा करने वालों के लिए दंड पर इस्लामी दृष्टिकोण के बारे में बात की। उन्होंने सियालकोट त्रासदी का उल्लेख किया और उसी संदर्भ में रुश्दी की बात की।''
सलमान रुश्दी पर न्यूयॉर्क में हुआ था हमला
सलमान रुश्दी पर एक हफ्ते पहले न्यूयॉर्क में एक शख्स ने चाकू से हमला कर दिया था। इससे उनके गले पर कई गहरे जख्म हो गए थे। उन्हें आनन-फानन में एयर एंबुलेंस के जरिए अस्पताल पहुंचाया गया। इस समय सलमान रुश्दी खतरे से बाहर हैं, लेकिन उनका इलाज चल रहा है। उन पर हमला करने वाले शख्स की पहचान ईरानी नागरिक के रूप में हुई थी। वह उनके उपन्यास को लेकर नाराज था और ईरानी धर्मगुरू अयातुल्लाह अली खामनेई के फतवे को पूरा करना चाहता था।
सिलायकोट में हुई घटना को जानें
सियालकोट में 3 दिसंबर 2021 को सैकड़ों प्रदर्शनकारियों की भीड़ ने श्रीलंकाई नागरिक प्रियंता कुमारा की पीट-पीट कर हत्या कर दी थी। बताया गया था कि प्रियंता ने ईशनिंदा की थी। जिसके जवाब में गुस्साई कट्टरपंथियों की भीड़ ने फैक्ट्री में घुसकर दिनदहाड़े प्रियंता को मार डाला था। इस घटना को लेकर पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खूब फजीहत हुई थी। जिसके बाद पाकिस्तान सरकार ने लीपापोती करते हुए इस मामले में कुछ लोगों को गिरफ्तार करने का दावा भी किया था।
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