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उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन में कई सांसदों ने भी शामिल होने का भरोसा दिया है।
हिंदू अपनी धार्मिक पहचान को लेकर मुखर हो रहे हैं। यह बदलाव देश में ही नहीं विदेश में भी देखने को मिल रहा है। वर्षों से अमेरिका में रहने वाले हिंदू समुदाय के लोग भी अब अपनी पहचान 'भारतीय अमेरिकी' की जगह 'हिंदू अमेरिकी' के रूप में बनाना चाहते हैं। अमेरिका में इस नई पहचान के साथ अपनी राजनीतिक ताकत का प्रदर्शन करने के लिए हिंदू समुदाय के लोग कैपिटल हिल में सितंबर के आखिर में एक शिखर सम्मेलन का आयोजन कर रहे हैं।
कैपिटल हिल वह इलाका है जहां अमेरिकी संसद के साथ ही साथ सत्ता के केंद्र के कई अहम विभाग मौजूद हैं। यहां सम्मेलन के आयोजन का एक मकसद यह भी है कि अमेरिकी नेताओं तक सीधे अपना संदेश पहुंचाया जाए। इस कार्यक्रम को 'राजनीतिक जुड़ाव के लिए हिंदू अमेरिकी शिखर सम्मेलन' नाम दिया गया है। आयोजकों द्वारा प्रसारित एक फ्लायर के अनुसार इस सम्मेलन में अमेरिकी हिंदू समुदाय के नेताओं की अमेरिकी राजनीतिक व्यवस्था में सक्रिय भूमिका के मुद्दे पर चर्चा की जाएगी।
हालांकि, नई पहचान स्थापित करने का यह प्रयास वास्तव में भारतीय अमेरिकियों के बीच बढ़ती बेचैनी को दर्शाता है जिन्हें भारत सरकार की नीतियों और पदों से जोड़ दिया जाता है और अमेरिकी उन्हें भारत सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर देखते हैं। ये भारतीय खुद के अमेरिकी होने पर जोर देने के साथ ही अपने मूल देश से भी जुड़ा रहना चाहते हैं, लेकिन राजनीतिक रूप से नहीं, धार्मिक रूप से। दो हिंदू संगठनों 'अमेरिकंस 4 हिंदूज' और 'अमेरिकन हिंदूज कोलिशन' ने इस शिखर सम्मेलन का आयोजन किया है।
सम्मेलन में विश्व हिंदू परिषद आफ अमेरिका, हिंदू स्वयंसेवक संघ आफ अमेरिका समेत उन संगठनों को बुलाया है जिन्होंने अपने नाम में हिंदू शब्द जोड़ रखा है। अमेरिका में 'आजादी का अमृत महोत्सव' आयोजित करने वाले शिवांगी कहते हैं, हम अमेरिका में सबसे उच्च शिक्षित और सबसे अमीर समुदाय हैं और हमें खुद को हिंदू अमेरिकी कहने में संकोच नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अमेरिकी में रहने वाले 40 लाख भारतीयों में 85 प्रतिशत से अधिक हिंदू हैं। उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन में कई सांसदों ने भी शामिल होने का भरोसा दिया है।
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