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जर्मनी का भी भारत में निवेश पर दिल आ गया.

Sonam
22 July 2023 4:27 AM GMT
जर्मनी का भी भारत में निवेश पर दिल आ गया.
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भारत में लगातार बिछ रहे इन्फ्रास्ट्रक्चर के जाल ने दुनिया के अनेक राष्ट्रों को निवेश के लिए आकर्षित किया है. वर्तमान समय में हिंदुस्तान दुनिया की सबसे तेज आर्थिक विकास रेट वाला राष्ट्र बना हुआ है. साथ ही हिंदुस्तान अपार संभावनाओं का राष्ट्र है. अंतरराष्ट्रीय मंदी, युद्ध, महामारी के दंश के बीच दुनिया में केवल हिंदुस्तान ही लोगों का भरोसा है. अन्य राष्ट्रों की स्थिति डवांडोल हो रही है. अमेरिका जैसे राष्ट्र भी ऋण में डूबे हैं तो वहीं ब्रिटेन और यूरोप महंगाई की मार झेल रहे हैं. ऐसे में हिंदुस्तान की बुलंदी दुनिया को अपनी ताकत का एहसास करा रही है. यही वजह है कि जर्मनी का भी हिंदुस्तान में निवेश पर दिल आ गया है.

इन दिनों जर्मन वाइस चांसलर और आर्थिक मामलों के मंत्री “रॉबर्ट हैबेक हिंदुस्तान दौरे पर हैं. राष्ट्र में सुरक्षित निवेश की असीम संभवानाएं देखने के बाद राबर्ट हिंदुस्तान में निवेश के लिए फिदा हो गए हैं. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हिंदुस्तान और जर्मनी के बीच द्विपक्षीय संबंधों के लिए ‘नये अवसरों’ पर ध्यान केंद्रित करते हुए बृहस्पतिवार को वहां के वाइस चांसलर रॉबर्ट हैबेक से “सार्थक” वार्ता की. जयशंकर ने एक ट्वीट में बोला कि उन्होंने और हैबेक ने यूक्रेन संघर्ष और हिंद-प्रशांत की स्थिति पर भी अपने विचार साझा किए. उन्होंने कहा, “नयी दिल्ली में जर्मन वाइस चांसलर रॉबर्ट हैबेक का स्वागत करते हुए खुशी हो रही है.

जर्मन वाइस चांसलर ने द्विपक्षीय योगदान बढ़ाने और निवेश पर किया फोकस

अपनी इस यात्रा के दौरान जर्मन वाइस चांसलर ने हिंदुस्तान के साथ द्विपक्षीय योगदान बढ़ाने और निवेश पर पूरा फोकस किया है. दोनों नेताओं के बीच भारत-जर्मनी योगदान के कई नये अवसरों पर सार्थक चर्चा हुई.” जयशंकर ने कहा, “रॉबर्ट हैबेक के साथ यूक्रेन संघर्ष और हिंद-प्रशांत की स्थिति पर भी चर्चा हुई.” हैबेक, जर्मनी के आर्थिक मामलों के साथ जलवायु मंत्री भी हैं. वह हिंदुस्तान की तीन-दिवसीय यात्रा पर हैं. उनके साथ एक उच्च पदस्थ अधिकारी और एक व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल भी हिंदुस्तान दौरे पर है, जिसमें जर्मनी की कंपनियों के शीर्ष अधिकारी भी शामिल हैं. हैबेक ने बोला कि हिंदुस्तान और जर्मनी द्विपक्षीय योगदान को और मजबूत करना चाहते हैं. उन्होंने बोला कि हम भारतीय और जर्मन कंपनियों के बीच निवेश एवं योगदान को बढ़ाना चाहते हैं

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