विश्व

गद्दी संभालने से इस्तीफे तक, ऐसा रहा बोरिस जॉनसन का विवादित सियासी सफर

Subhi
8 July 2022 12:54 AM GMT
गद्दी संभालने से इस्तीफे तक, ऐसा रहा बोरिस जॉनसन का विवादित सियासी सफर
x
लंदन में बतौर मेयर 2012 के ओलंपिक की शानदार मेजबानी से लेकर बोरिस जॉनसन ने यूरोपीय संघ से ब्रिटेन के अलग होने वाले ‘ब्रेक्जिट’ अभियान में कंजर्वेटिव दल के अगुवा की भूमिका निभाई.

लंदन में बतौर मेयर 2012 के ओलंपिक की शानदार मेजबानी से लेकर बोरिस जॉनसन ने यूरोपीय संघ से ब्रिटेन के अलग होने वाले 'ब्रेक्जिट' अभियान में कंजर्वेटिव दल के अगुवा की भूमिका निभाई. हालांकि, कोरोना वायरस महामारी के बाद बतौर प्रधानमंत्री इससे निपटने के तौर-तरीकों और लॉकडाउन के दौरान नियमों का उल्लंघन कर सरकारी कार्यालय में होने वाली पार्टियों ने जॉनसन की छवि को नुकसान पहुंचाया. इसके अलावा, पार्टी के एक वरिष्ठ सांसद पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों से निपटने के मामले में भी उन्हें आलोचनाओं का सामना करना पड़ा तो आइए जानते हैं कैसी रही बोरिस जॉनसन की राजनीतिक यात्रा.

ओलंपिक खेलों की मेजबानी

उन्होंने 2001-2008 के दौरान संसद में हेनले सीट का प्रतिनिधित्व किया. 2008-2016 के बीच लंदन के मेयर का पदभार संभाला. 2012 में लंदन में हुए ओलंपिक खेलों की मेजबानी की. 2016 यूरोपीय संघ से ब्रिटेन को अलग करने के अभियान में सह-नेता के तौर पर अगुवाई की. जॉनसन ने तत्कालीन प्रधानमंत्री एवं कंजर्वेटिव पार्टी के अपने सहयोगी डेविड कैमरन के विपरीत जाकर अभियान को चलाया. 23 जून 2016 को राष्ट्रीय जनमत के दौरान मतदाताओं के 'बेक्जिट' को मंजूरी देने के बाद कैमरन ने पद से इस्तीफा दे दिया था.

कैमरन सरकार में विदेश मंत्री

2016-2018 के दौरान कैमरन के बाद प्रधानमंत्री पद संभालने वाली थेरेसा मे सरकार में जॉनसन विदेश मंत्री रहे. बाद में 'ब्रेक्जिट' के प्रति नरम रणनीति अपनाने के विरोध में जॉनसन ने जुलाई 2018 में पद से इस्तीफा दे दिया. 7 जून, 2019 को थेरेसा ने ब्रेक्जिट समझौते को वापस लेने के लिए संसद को मनाने में विफल रहने पर कंजर्वेटिव पार्टी के नेता के रूप में इस्तीफा दे दिया. 23 जुलाई, 2019 को कंजर्वेटिव सदस्यों द्वारा किए गए मतदान में जॉनसन दल के नेता चुने गए और अगले दिन जॉनसन ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली.

संसद को बंद रखने की घोषणा

हालांकि, वह एक ऐसी अल्पसंख्यक सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं, जो कानून पारित करने के लिए उत्तरी आयरलैंड की 'डेमोक्रेटिक यूनियनिस्ट पार्टी' के वोट पर निर्भर हैं. जॉनसन ने जोर देकर कहा कि ब्रिटेन 31 अक्टूबर को हर हाल में यूरोपीय संघ को छोड़ देगा. 28 अगस्त 2019 को जॉनसन ने मध्य अक्टूबर तक संसद को बंद रखने की घोषणा की ताकि विरोधियों को ब्रेक्जिट समझौते में बाधा डालने का मौका नहीं मिले. 3 सितंबर, 2019 को कंजर्वेटिव पार्टी के 21 बागी सांसदों ने ब्रेक्जिट वार्ता को विस्तार देने संबंधी कानून का समर्थन किया, जिसके बाद बागियों को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया.

ब्रेक्जिट टालने का आग्रह

24 सितंबर, 2019 को ब्रिटेन के उच्चतम न्यायालय ने संसद को निलंबित रखने के सरकार के कदम को गैर-कानूनी करार दिया. 19 अक्टूबर, 2019 को जॉनसन ने EU से एक बार फिर ब्रेक्जिट को टालने का आग्रह किया और नयी समयसीमा 31 जनवरी तय की गई. 6 नवंबर, 2019 को संसद भंग कर दी गई और मध्य दिसंबर में होने वाले चुनाव प्रचार के दौरान जॉनसन ने अपनी ब्रेक्जिट रणनीति के लिए जनता से समर्थन मांगा. 12 दिसंबर, 2019 को जॉनसन को आम चुनाव में 80 सीटों पर जीत मिली और पूर्ण बहुमत की सरकार का गठन हुआ. इस जीत ने जॉनसन को मार्गरेट थैचर के बाद चुनावी रूप से सबसे सफल कंजर्वेटिव नेता बनाया.

लॉकडाउन की घोषणा

23 जनवरी, 2020 को ब्रिटिश संसद से मंजूरी मिलने के बाद ब्रेक्जिट समझौते ने कानून रूप लिया. 23 मार्च, 2020 को जॉनसन ने कोविड-19 महामारी के मद्देनजर ब्रिटेन में पहले लॉकडाउन की घोषणा की. 3-4 नवंबर, 2021 को जॉनसन की सरकार ने कंजर्वेटिव सांसदों को ओवेन पैटर्सन के निलंबन को टालने के लिए नैतिकता नियमों में बदलाव का समर्थन करने का आदेश दिया. पैटर्सन जॉनसन के समर्थक थे, जिन्हें 'लॉबिंग' नियमों के उल्लंघन के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा था, नियम पारित हो गया. एक दिन बाद सभी दलों के सांसदों द्वारा रोष जताए जाने के बाद जॉनसन ने सांसदों को पैटर्सन के निलंबन पर मतदान करने की अनुमति दी. इसके बाद पैटर्सन ने इस्तीफा दे दिया.

पार्टीगेट का दाग

30 नवंबर, 2021 को जॉनसन पर आरोप लगे कि कोविड-19 लॉकडाउन नियमों का उल्लंघन कर नवंबर और दिसंबर 2020 के दौरान सरकारी कार्यालयों में अधिकारियों ने पार्टियां कीं. 'पार्टीगेट' करार दिए गए इस मामले में आरोप लगाया गया कि लॉकडाउन का उल्लंघन कर दर्जनभर से अधिक पार्टी की गईं. जॉनसन ने आरोपों को खारिज किया. हालांकि, विपक्ष ने सरकार की आलोचना की. 8 दिसंबर, 2021 को जॉनसन ने पार्टीगेट मामले की जांच को मंजूरी दी. जॉनसन पर पद छोड़ने का दबाव पड़ा.

पीएम पर 50 पाउंड का जुर्माना

12 अप्रैल, 2022 को लॉकडाउन के दौरान एक पार्टी में शामिल होने के लिए जॉनसन पर 50 पाउंड का जुर्माना लगा. जॉनसन ने खेद जताया लेकिन कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि वह नियम तोड़ रहे हैं. 26 मई, 2022 को सरकार ने तेल एवं गैस कंपनियों पर टैक्स संबंधी अपने फैसले को वापस लिया. 6 जून, 2022 को जॉनसन ने मामूली अंतर से विश्वास मत जीता. सत्ता पर उनकी पकड़ कमजोर हुई. 30 जून, 2022 को लंदन के एक क्लब में दो मेहमानों के साथ मारपीट के आरोप के बाद क्रिस पिंचर ने कंजर्वेटिव पाटी के उप मुख्य सचेतक पद से इस्तीफा दिया. पिंचर पर पूर्व में भी यौन उत्पीड़न करने के आरोप लगे. सवाल खड़ा हुआ कि क्या पिंचर को जिम्मेदारी दिए जाने के समय जॉनसन को आरोपों के संबंध में जानकारी थी या नहीं?

मंत्रियों ने दिया इस्तीफा

5 जुलाई, 2020 को जॉनसन ने पिंचर मामले से निपटने के तौर-तरीकों को लेकर माफी मांगी. जॉनसन सरकार के दो सबसे वरिष्ठ मंत्रियों ऋषि सुनक और साजिद जाविद ने पद से इस्तीफा दिया. 6 जुलाई, 2022 को करीब 3 दर्जन कनिष्ठ मंत्रियों ने अपने पदों से इस्तीफा दिया औप जॉनसन के नेतृत्व पर निशाना साधा. 7 जुलाई, 2022 को जॉनसन कंजर्वेटिव पार्टी के नेता और प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने को राजी हुए.


Next Story