x
बीजिंग, (आईएएनएस)। भारत में चीनी राजदूत सुन वेइतुंग और उनकी पत्नी पाओ चीछिंग ने 19 अक्टूबर को अपने कार्यकाल की समाप्ति के मौके पर एक वीडियो सम्मलेन आयोजित किया, जिसमें भारत-चीन मैत्री संघ, डॉ. कोटनीस स्मृति समिति आदि मैत्रीपूर्ण संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
इस सम्मेलन में राजदूत सुन ने भारत में काम करने की प्रक्रिया और अनुभव का सिंहावलोकन करते हुए कहा कि पिछले तीन साल से अधिक समय में उन्होंने दोनों देशों के नेताओं द्वारा चेन्नई मुलाकात में प्राप्त आम सहमतियों और परिणामों का ईमानदारी से कार्यान्वयन किया, सक्रिय रूप से द्विपक्षीय व्यावहारिक सहयोग को बढ़ावा दिया, विभिन्न कठिनाइयों और बाधाओं को दूर कर जनमत की नींव को मजबूत किया, और सभी के साथ मिलकर द्विपक्षीय संबंधों के स्थिर विकास को आगे बढ़ाने में समान प्रयास किए।
चीनी राजदूत सुन वेइतुंग ने चीन-भारत संबंधों को विकसित करने के अपने अनुभव साझा किए। पहला, दोनों देशों के नेताओं द्वारा प्राप्त महत्वपूर्ण सहमति से निर्देशित होकर द्विपक्षीय संबंधों के विकास को सही दिशा की ओर आगे बढ़ाया जाना चाहिए। महत्वपूर्ण सहमतियां जैसे चीन और भारत एक दूसरे के लिए विकास के अवसर हैं और एक दूसरे के लिए खतरा नहीं हैं और दोनों देश प्रतिस्पर्धियों के बजाय भागीदार हैं द्विपक्षीय संबंधों के भविष्य के विकास के लिए राजनीतिक मार्गदर्शन प्रदान करती हैं।
दूसरा, दोनों देशों के बीच पारस्परिक रूप से लाभकारी सहयोग का विस्तार किया जाना चाहिए और दोनों देशों के लोगों को लाभान्वित किया जाना चाहिए। उभरती अर्थव्यवस्थाओं के रूप में, चीन और भारत के पास विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग की एक बड़ी अंतर्निहित क्षमता है। चीन-भारत संबंध न केवल दोनों देशों के लिए, बल्कि इस क्षेत्र और यहां तक कि दुनिया के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण हैं। दोनों देशों को 280 करोड़ लोगों की भलाई और हितों की समान रूप से रक्षा करते हुए, सहयोग के माध्यम से पारस्परिक लाभ और जीत हासिल करनी चाहिए।
तीसरा, मतभेदों और संवेदनशील मुद्दों को ठीक से संभाला जाना चाहिए और पड़ोसी उभरते बड़े देशों के बीच शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के लिए एक रास्ता खोजना चाहिए। समग्र और दीर्घकालिक ²ष्टिकोण से देखा जाए तो चीन और भारत के साझा हित मतभेदों से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हैं, मतभेदों को द्विपक्षीय संबंधों को परिभाषित करने या द्विपक्षीय संबंधों के समग्र विकास में हस्तक्षेप करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। दो प्राचीन पूर्वी सभ्यताओं के रूप में, चीन और भारत को प्रमुख पड़ोसी विकासशील देशों के बीच शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व और उभय जीत सहयोग का एक नया तरीका खोजना होगा।
इस सम्मेलन में मौजूद भारतीय प्रतिनिधियों ने कहा कि पिछले 3 वर्षो से अधिक समय में राजदूत सुन ने सक्रिय रूप से कोरोना महामारी और द्विपक्षीय संबंधों की स्थिति में दोनों देशों के विभिन्न क्षेत्रों में पारस्परिक लाभ और उभय जीत सहयोग को बढ़ावा दिया है। मौजूदा कठिनाइयों और चुनौतियों का सामना करते हुए, चीन-भारत संबंधों को पटरी पर लाने के लिए बहुत सारे उपयोगी काम किए गए हैं। राजदूत सुन ने भारतीय लोगों के साथ घनिष्ठ मित्रता विकसित कर ली है। वे भारत-चीन मित्रता को बढ़ावा देने के लिए प्रयास करना जारी रखेंगे।
Next Story