अमेरिका में बने इन्फ्लेशन रिडक्शन ऐक्ट को लेकर यूरोपियन यूनियन (ईयू) ने अमेरिका के खिलाफ कमर कस ली है। ईयू ने कहा है कि इस अमेरिकी कानून से यूरोपीय कंपनियों और अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान होगा। पिछले दिनों अमेरिका के जो बाइडेन प्रशासन ने ये कानून पारित कराया था। इसके तहत अमेरिका में उद्योग लगाने वाली कंपनियों को 369 बिलियन डॉलर की सब्सिडी देने का प्रावधान किया गया है। उसके बाद से खबरें आई हैं कि खासकर ऊर्जा क्षेत्र की कई कंपनियों ने यूरोप में निवेश की योजना रद्द कर अमेरिका जाने का फैसला किया है।
इसको लेकर ईयू में असंतोष बढ़ने के संकेत हैं। ईयू की कार्यकारी संस्था यूरोपियन कमीशन ने अमेरिका में दी जा रही सब्सिडी पर 'गहरी चिंता' जताई है। उसके बाद ईयू की बैठक में इस पर विचार हुआ। अमेरिकी टीवी चैनल सीएनबीसी से बातचीत में एक ईयू अधिकारी ने कहा- 'बैठक में ईयू के हर सदस्य देश के मंत्री ने चिंता जताई और कहा कि इसका सबसे अच्छा जवाब क्या हो सकता है, उस पर विचार किया जाना चाहिए। 27 देशों के बीच इस पर राजनीतिक सहमति बनी है कि ये कानून यूरोपीय उद्योग के लिए खतरा है।
ईयू ने अमेरिकी कानून में शामिल ऐसे नौ बिंदुओं की सूची तैयार की है, जिसे उसने अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों के खिलाफ बताया है। इनमें अमेरिका में बनने वाली इलेक्ट्रिक कारों को टैक्स छूट देने का फैसला भी शामिल है। ईयू ने कहा है कि इससे यूरोपीय कार कंपनियों के लिए नई चुनौती खड़ी होगी।
सीएनबीसी ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि यूरोप जैसी ही चिंता इसके पहले दक्षिण कोरिया जता चुका है। इन्फ्लेशन रिडक्शन ऐक्ट के कारण दक्षिण कोरियाई कंपनी हुंदै के अमेरिकी बाजार भी खराब असर पड़ेगा। ईयू के एक अन्य अधिकारी ने अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर सीएनबीसी से कहा कि इस मुद्दे पर सभी सदस्य देशों में सहमति इतनी ज्यादा है कि इस बारे में ज्यादा बातचीत की जरूरत ही नहीं पड़ी।
खबरों के मुताबिक बैठक में फ्रांस के वित्त मंत्री ब्रूनो ली मेयर ने कहा कि यह कानून यूरोप के लिए चेतावनी है। यूरोप को अपने कारोबारियों के हितों की रक्षा के लिए अब जागना होगा। ली मेयर ने सीएनबीसी को दिए एक इंटरव्यू में कहा- 'अमेरिकी दोस्तों के सामने अपना रुख बताने के लिए आरंभ से ही हमें बहुत स्पष्टता, एकजुटता और मजबूती दिखानी होगी। हमें यह बताना होगा कि दांव पर हमारा क्या लगा है।'
थिंक टैंक यूरोपियन सेंटर फॉर इंटरनेशनल पॉलिटिकल इकॉनमी के निदेशक फ्रेडिक इरिक्सॉन ने कहा है- 'स्पष्टतः इन्फ्लेशन रिडक्शन ऐक्ट को लेकर ईयू की चिंताएं वाजिब हैँ। इस कानून से यूरोपीय कंपनियों के साथ प्रत्यक्ष और परोक्ष भेदभाव होगा। इस कानून में शामिल कई पहलू अमेरिका फर्स्ट नीति को दिखाते हैँ। इससे प्रतिस्पर्धा का माहौल बिगड़ेगा और ईयू की कंपनियों को नुकसान होगा। इस मामले में ईयू विश्व व्यापार संगठन के पास जा सकता है, ताकि इन मुद्दों पर फैसला हो सके। वैसे अभी ईयू की इच्छा यही है कि द्विपक्षीय बातचीत से मसले हल हो जाएं।'