कंपाला. जानलेवा कोरोना वायरस के प्रकोप के बाद अब अफ्रीका के युगांडा में इबोला अपना पैर पसार रहा है. इसके प्रसार को रोकने के लिए युगांडा के राष्ट्रपति योवेरी मुसेवेनी ने शनिवार को कहा कि वह प्रभावित क्षेत्रों में रातभर का कर्फ्यू लागू कर रहे हैं. पूजा स्थलों और मनोरंजन स्थलों को बंद किया जाएगा और इसके साथ ही इबोला से प्रभावित दो जिलों में 21 दिनों के लिए आवाजाही को भी प्रतिबंधित किया जाएगा.
रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक युगांडा के राष्ट्रपति योवेरी मुसेवेनी ने एक टेलीविजन राष्ट्रीय संबोधन में कहा कि इबोला का प्रसार मध्य युगांडा के मुबेंडे और कसांडा जिलों में तेजी से फैल रहा है और इस बीमारी के प्रसार को रोकने के उद्देश्य से इन जिलों में आवाजाही को प्रतिबंधित किया गया है साथ ही इन्हे महामारी का केंद्र भी घोषित किया गया है. मुसेवेनी ने कहा, "ये इबोला के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए अस्थायी उपाय है. हम सभी को अधिकारियों का सहयोग करना चाहिए ताकि हम इस प्रकोप को कम से कम समय में समाप्त कर सकें."
मुसेवेनी ने कहा कि पूर्वी अफ्रीकी राष्ट्र में 20 सितंबर को घातक रक्तस्रावी बुखार (Hemorrhagic fever) के फैलने की घोषणा के बाद से 19 लोगों की मौत हो गई है. WHO के मुताबिक 24 वर्षीय एक व्यक्ति से लिए गए नमूने के परीक्षण में इस बिमारी के बारे में पता चला था जिसके बाद से ही अफ्रीका अलर्ट हो गया है. WHO के मुताबिक इसके लिए कोई कारगर टिका भी नहीं है.
अफ्रीका में इबोला का प्रकोप कई साल पुराना है. इस देश में यह बिमारी अचानक से बढ़ने लगती है और बाद में रुक जाती है. जब भी इबोला के केस सामने आते हैं तो अफ्रीका स्वास्थ को लेकर अलर्ट हो जाता है, क्योंकि यह इतनी खतरनाक बिमारी है कि देश में अक्सर लोग इसी बिमारी के कारण अपनी जान गवा रहे हैं. इबोला एक घातक वायरल बुखार है.
जिसमें मुख्य लक्षण बुखार, उल्टी, रक्तस्राव और दस्त होते हैं. इससे पहले कांगों के इक्वाटोर प्रांत में वर्ष 2018 में इबोला का प्रकोप फैला था और 54 मामले सामने आए थे. इसमें 33 लोगों की मौत हो गई थी. कांगो अपने पूर्वी इलाके में फैले इबोला वायरस के दूसरे सबसे बड़े प्रकोप से जूझ रहा था. कांगो में दो नई वैक्सीन भी तैयार हुई लेकिन इसके बावजूद 2260 लोगों की इबोला वायरस से मौत हो गई थी.