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उन्होंने कहा कि हम बातचीत और कूटनीति के रास्ते पर तत्काल लौटने का आग्रह करते हैं।
न्यूयॉर्क : संयुक्त राष्ट्र महासभा में बुधवार को यूक्रेनी शहरों पर रूसी कब्जे को लेकर बहस चल रही थी। अल्बानिया की तरफ से पेश किए गए एक निंदा प्रस्ताव पर वोटिंग होनी थी। भारत और पाकिस्तान समेत 35 देशों ने इस वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया। लेकिन मतदान के दौरान अपना स्पष्टीकरण देते हुए पाकिस्तान ने बिना सिर पैर वाली बात कर दी और कश्मीर का मुद्दा उठा दिया। पाकिस्तान की इस हरकत का भारत ने करारा जवाब दिया और सीमा-पार आतंकवाद को रोकने के लिए कहा। यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान ने वैश्विक मंच का इस्तेमाल अंतरराष्ट्रीय समुदाय को गुमराह करने के लिए किया है। पहले भी वह पीओके में अपने अत्याचारों पर पर्दा डालने के लिए संयुक्त राष्ट्र में कई बार कश्मीर राग अलाप चुका है।
रूस-यूक्रेन युद्ध के संबंध में यूएनजीए में वोटिंग के दौरान पाकिस्तानी राजनयिक मुनीर अकरम ने कश्मीर का मुद्दा उठाते हुए दोनों स्थितियों को एक समान बताने का प्रयास किया। संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिका कंबोज ने कड़े शब्दों में इसका जवाब देते हुए कहा कि हम यह पहले भी देख चुके हैं और एक बार फिर एक प्रतिनिधिमंडल ने इस मंच का दुरुपयोग किया और मेरे देश के खिलाफ 'निराधार' टिप्पणी करने का प्रयास किया।
जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग
कंबोज ने जम्मू-कश्मीर को लेकर भारत की स्थिति एक बार फिर साफ करते हुए कहा, 'जम्मू-कश्मीर का पूरा क्षेत्र हमेशा से भारत का अभिन्न अंग है और रहेगा। हम पाकिस्तान से सीमा पार आतंकवाद को रोकने का आह्वान करते हैं ताकि हमारे नागरिक सुकून से रह सकें।' यूक्रेन के चार शहरों के रूस में विलय के खिलाफ पेश किया गया निंदा प्रस्ताव 143 वोट के साथ पास हो गया। 5 देशों ने इसके खिलाफ मतदान किया और 35 देशों ने इसमें हिस्सा नहीं लिया।
'इंसानी जान की कीमत पर समाधान असंभव'
अपनी तटस्थ नीति के तहत वोटिंग में हिस्सा न लेते हुए भारत ने यूक्रेन युद्ध में आई तेजी पर गहरी चिंता जाहिर की। इसी तरह का एक प्रस्ताव पिछले दिनों संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पेश किया गया जिस पर वोटिंग में रूस ने वीटो का इस्तेमाल किया। वोटिंग के दौरान अपना स्पष्टीकरण देते हुए भारतीय राजदूत कंबोज ने कहा कि भारत लगातार इस बात का पक्षधर रहा है कि इंसानी जान की कीमत पर किसी भी मुद्दे का समाधान नहीं किया जा सकता और दुश्मनी को बढ़ाना किसी के हित में नहीं है। उन्होंने कहा कि हम बातचीत और कूटनीति के रास्ते पर तत्काल लौटने का आग्रह करते हैं।
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