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बीजिंग (आईएएनएस)| विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की व्यापार और पर्यावरण समिति का दो दिवसीय आधिकारिक सम्मेलन 15 मार्च को समाप्त हुआ। इसी दौरान, सभी पक्षों ने व्यापार पर पर्यावरण संबंधी नीतियों के प्रभाव पर विचार-विमर्श किया। चीन के यूरोपीय संघ के कार्बन सीमा समायोजन तंत्र पर बहुपक्षीय चर्चा करने के प्रस्ताव ने डब्ल्यूटीओ के सदस्यों का व्यापक ध्यान आकर्षित किया है।
चीन के प्रस्ताव ने बताया कि व्यापार संबंधी नीति अधिक से अधिक देशों द्वारा पर्यावरण संबंधी नीतियों को लागू करने का उपकरण बनाया जा रहा है। कुछ पर्यावरण नीतियों व कदमों में शामिल व्यापार मुद्दों ने विवाद खड़ा किया। इनमें से कुछ कदमों को डब्ल्यूटीओ के विवाद निपटान तंत्र का सहारा लिया गया है, जबकि अन्य कुछ कदमों का डब्ल्यूटीओ के संबंधित नियमित सम्मेलनों और समीक्षा तंत्रों में बार-बार उल्लेख किया गया है।
चीन के प्रस्ताव में कहा गया है कि डब्ल्यूटीओ व्यापार संबंधी नीतियों की निगरानी और समीक्षा करने के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान है, और पर्यावरणीय लक्ष्यों को प्राप्त करने वाली व्यापार नीतियों को डब्ल्यूटीओ के बुनियादी सिद्धांतों और नियमों का पालन करना और संरक्षणवादी कदमों व हरित व्यापार बाधाओं से बचना चाहिए। डब्ल्यूटीओ को व्यापार नीतियों के माध्यम से पर्यावरण के निरंतर विकास में मदद करने और व्यापार घर्षण को रोकने में बड़ी भूमिका निभानी चाहिए। सभी पक्षों के बीच रचनात्मक बहुपक्षीय चर्चा बहुपक्षीय सहयोग को बढ़ाने के लिए पहला कदम है।
नॉर्वे, फिलीपींस, सिंगापुर, भारत, ब्राजील समेत डब्ल्यूटीओ के सदस्यों ने कहा कि चीन का प्रस्ताव रचनात्मक है। भारत ने यह भी कहा कि चीन का प्रस्ताव डब्ल्यूटीओ के 12वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन के प्राधिकरण के अनुरूप है।
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Rani Sahu
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