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बीजिंग । चीन अरब सागर पर अपना प्रभुत्व स्थापित करने के लिए तीन नौसैनिक अड्डों को मजबूत बना रहा है। इसका मकसद हिंद महासागर से होने वाले समुद्री व्यापार पर एकाधिकार करना और भारत-अमेरिका को चुनौती देना है। वर्तमान में भारत के सबसे नजदीक स्थित चीनी नौसैनिक अड्डा हैनान प्रांत के सान्या शहर के पास स्थित युलिन नेवल बेस है। इस नौसैनिक अड्डे की भारत के सबसे दक्षिणी छोर से सीधी दूरी लगभग 35 सौ किलोमीटर है। नौसैनिक युद्धपोत और पनडुब्बियां सीधे तो चल नहीं सकती हैं, ऐसे में उन्हें भारत की जलसीमा तक आने के लिए लगभग तीन गुनी दूरी तय करनी होती है। उसमें भी उनके दुनिया की नजरों में आने का खतरा होता है। ऐसे में प्रतिद्वंद्वी उतने समय में आक्रामक या रक्षात्मक उपाय कर सकता है। इसी दूरी को तय करने के लिए चीन ने अरब सागर के तीन तरफ तीन नौसैनिक अड्डों को स्थापित कर रहा है।
अरब सागर के उत्तर में स्थित पाकिस्तान के ग्वादर में चीन नौसैनिक अड्डा बना रहा है। पश्चिम में जिबूती में चीन की नौसैनिक अड्डा पहले से ही ऑपरेशन में है। अब चीन की नजर अरब सागर के दक्षिण में स्थित मॉरीशस में नौसैनिक अड्डा स्थापित करने पर है। मॉरीशस का भारत के साथ मजबूत संबंध हैं। ऐसे में हिंद महासागर के इस देश को अपनी जाल में फंसाने के लिए चीन चाल चलने में जुटा हुआ है। चीनी राजनयिक नियमित तौर पर मॉरीशस का दौरा कर रहे हैं। उनकी कोशिश मॉरीशस से भारतीय प्रभाव को खत्म कर चीन के नियंत्रण में लाना है। इसके लिए मॉरीशस में सक्रिय भारत विरोधी तत्वों की मदद भी की जा रही है। चीन का उद्देश्य मॉरीशस में नौसैनिक अड्डा बनाकर हिंद महासागर की घटनाओं पर नजर रखना है।
अगर चीन इन तीनों जगहों पर स्थित नौसैनिक अड्डों का निर्माण और संचालन करने में सफल हो जाता है तो वह पूरे अरब सागर को नियंत्रित करने की स्थिति में पहुंच जाएगा। अरब सागर भारत की पश्चिमी सीमा से लगा हुआ है। ऐसे में चीन की कोशिश अपने सदाबहार दोस्त पाकिस्तान के साथ मिलकर इस समुद्री रास्ते पर नियंत्रण हासिल करना है। पाकिस्तान और चीन लगातार अरब सागर के इलाके में युद्धाभ्यास भी कर रहे हैं। इन नौसैनिक अड्डों के बनने के बाद से भारत की पश्चिमी और दक्षिणी सीमा पर स्थित नौसैनिक अड्डे चीन की नजर में होंगे।
अभी तक अरब सागर पर भारत का प्रभुत्व माना जाता है। अरब सागर के किनारे स्थित सभी देशों में सबसे ताकतवर नौसेना भारत की है। भारत ने 1971 के युद्ध में ऑपरेशन ट्राइडेंट के जरिए अपनी ताकत भी दिखाई थी। तब भारतीय नौसेना के युद्धपोतों ने पाकिस्तान के कई युद्धपोतों को डूबाने के बाद कराची बंदरगाह को तहस-नहस कर दिया था। उस समय पूरे अरब सागर पर भारतीय नौसेना का नियंत्रण था। भारत की मंजूरी के बिना कोई भी जहाज न तो अरब सागर में प्रवेश कर सकता था और ना ही बाहर निकल सकता था। ऐसे में चीन और पाकिस्तान की कोशिश भारत के प्रभुत्व को कम कर अपनी मौजूदगी को बढ़ाना है।
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Rani Sahu
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