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सोवियत संघ के अंतिम राष्ट्रपति मिखाइल गोर्वाचेव के निधन पर चीन ने जताया दुख

Neha Dani
1 Sep 2022 9:04 AM GMT
सोवियत संघ के अंतिम राष्ट्रपति मिखाइल गोर्वाचेव के निधन पर चीन ने जताया दुख
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मिखाइल गोर्बाचेव को सोवियत संघ के राष्ट्रपति का पद त्याग दिया था।

बीजिंग: सोवियत संघ के अंतिम नेता मिखाइल गोर्बाचेव का मंगलवार को निधन हो गया। वह 91 वर्ष के थे और कई बीमारियों से पीड़ित थे। दुनियाभर के देशों ने गोर्बाचेव को उनके निधन पर श्रद्धांजलि दी है। कई वैश्विक नेताओं ने शांति को बढ़ावा देने और स्वतंत्रता को आगे बढ़ाने में उनकी भूमिका की सराहना की। गोर्बाचेव रूस के इकलौते ऐसे नेता थे, जिन्हें उनके ही देश में अधिकतर लोग विलेन के तौर पर देखते हैं। वहीं, पश्चिमी देशों में उन्हें एक हीरो और शांति प्रिय नेता के तौर पर याद किया जाता है। लेकिन चीन में, गोर्बाचेव की विरासत को एक अलग रोशनी में देखा जाता है। रूस की तरह चीन में भी गोर्बोचेव को सोवियत संघ के पतन का जिम्मेदार ठहराया जाता है। यही कारण है कि चीन ने गोर्बाचेव के निधन पर शोक तो जताया, लेकिन इस देश के सोशल मीडिया पर अमेरिका से मेल-मिलाप बढ़ाने की उनकी कोशिशों की आलोचना भी हुई। गोर्बाचेव की नीतियों के कारण ही शीत युद्ध का अंत हो पाया, लेकिन उनके सुधारों के कारण सोवियत संघ कई हिस्सों में टूट गया और यूक्रेन, बेलारूस जैसे नए देशों का जन्म हुआ।


चीन ने निधन पर जताया दुख, लेकिन आलोचना भी हुई
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान से गोर्बाचेव के निधन पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि गोर्बाचेव ने चीन-सोवियत संघ के संबंधों को सामान्य बनाने में सकारात्मक योगदान दिया था। उन्होंने कहा कि गोर्बाचेव के निधन पर हम शोक प्रकट करते हैं और उनके परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त करते हैं। गोर्बाचेव ने राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर खुली चर्चा की नीति ग्लासनोस्त की हिमायत की थी। उन्होंने 'पेरेस्त्रोइका' का भी समर्थन किया था जो राजनीतिक और आर्थिक सुधारों की एक नीति है। इसे चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) एक समाजवादी देश (सोवियत संघ) की अर्थव्यवस्था को खोलने का एक अनुभवहीन कोशिश मानता है जिसने राजनीति लंबे समय से सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी: सोवियत संघ के पतन के लिए एक चेतावनी कहानी के रूप में व्यक्त किया गया है। जिसने राजनीतिक और आर्थिक अव्यवस्था पैदा की, जो संयुक्त समाजवादी सोवियत गणराज्यों (यूएसएसआर) के पतन का कारण बना।

ग्लोबल टाइम्स ने गोर्बाचेव की मौत पर गलतियों को गिनाया
चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि पश्चिमी देश उन्हें (गोर्बाचेव को) पश्चिम के करीब सोवियत संघ को लाने और शीत युद्ध समाप्त करने में निभाई गई उनकी भूमिका के लिए याद करता है तथा उनकी प्रशंसा करता है, जबकि चीनी विश्लेषक उन्हें ऐसा व्यक्ति मानते हैं जिन्होंने सिद्धांतों को ताक पर रखा दिया। अखबार ने लिखा है कि उन्होंने अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों का आकलन करने में गलती की थी और घरेलू अर्थव्यवस्था में अफरा-तफरी की स्थिति उत्पन्न की, जो बाकी देशों के लिए यह सबक है कि वे पश्चिमी ताकतों के शांतिपूर्ण क्रांति की कोशिश के प्रति सतर्क रहें। ऐतिहासिक परिदृश्य में देखें तो गोर्बाचेव अपरिपक्व थे जिन्होंने रूस (सोवियत संघ का हिस्सा रहा) के ऐतिहासिक संक्रमण काल का प्रतिनिधित्व किया। अखबार ने लिखा है बिना सोचे समझे पश्चिमी प्रणाली को आदर्श मानने से सोवियत संघ ने अपनी आजादी खोई और रूसियों को राजनीतिक अस्थिरता और गंभीर आर्थिक दबाव का सामना करना पड़ा, जिसे चीन एक चेतावनी और सबक मानता है।

गोर्बाचेव ने बताया था सोवियत संघ टूटने के समय के हालात
हाल के वर्षों में सोवियत संघ के विघटन पर बोलते हुए गोर्बाचेव ने कहा था कि उनके भाषणों में अंत तक ऐसा कुछ भी नहीं था जिसने विशाल अंतरमहाद्वीपीय देश के टूटने का समर्थन किया हो। उन्होंने इसे एक ऐसी घटना बताया जो कई राजनेताओं के विश्वासघात करने के वजह से घटी थी। गोर्बाचेव ने बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि मेरी पीठ पीछे धोखा हुआ। वे लोग सिगरेट जलाने के लिए पूरा घर जला रहे थे। बस सत्ता पाने के लिए....वे लोकतांत्रिक तरीके से ऐसा नहीं कर सकते थे, इसलिए उन्होंने अपराध किया। वह सब कुछ एक विद्रोह था। हम गृह युद्ध के कगार पर खड़े थे। लोग बंटे हुए थे। देश में संघर्ष की स्थिति थी। हथियारों की बाढ़ आ गई थी। इसमें परमाणु हथियार भी शामिल थे। मैं सत्ता से चिपके रहने के लिए यह सबकुछ होते हुए नहीं देख सकता था। इस कारण मैंने इस्तीफा दे दिया। 25 दिसंबर 1991 को मिखाइल गोर्बाचेव को सोवियत संघ के राष्ट्रपति का पद त्याग दिया था।


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