बीजिंग: सोवियत संघ के अंतिम नेता मिखाइल गोर्बाचेव का मंगलवार को निधन हो गया। वह 91 वर्ष के थे और कई बीमारियों से पीड़ित थे। दुनियाभर के देशों ने गोर्बाचेव को उनके निधन पर श्रद्धांजलि दी है। कई वैश्विक नेताओं ने शांति को बढ़ावा देने और स्वतंत्रता को आगे बढ़ाने में उनकी भूमिका की सराहना की। गोर्बाचेव रूस के इकलौते ऐसे नेता थे, जिन्हें उनके ही देश में अधिकतर लोग विलेन के तौर पर देखते हैं। वहीं, पश्चिमी देशों में उन्हें एक हीरो और शांति प्रिय नेता के तौर पर याद किया जाता है। लेकिन चीन में, गोर्बाचेव की विरासत को एक अलग रोशनी में देखा जाता है। रूस की तरह चीन में भी गोर्बोचेव को सोवियत संघ के पतन का जिम्मेदार ठहराया जाता है। यही कारण है कि चीन ने गोर्बाचेव के निधन पर शोक तो जताया, लेकिन इस देश के सोशल मीडिया पर अमेरिका से मेल-मिलाप बढ़ाने की उनकी कोशिशों की आलोचना भी हुई। गोर्बाचेव की नीतियों के कारण ही शीत युद्ध का अंत हो पाया, लेकिन उनके सुधारों के कारण सोवियत संघ कई हिस्सों में टूट गया और यूक्रेन, बेलारूस जैसे नए देशों का जन्म हुआ।