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21वीं सदी के आखिरी आदिमानव की मौत
अमेजन के जंगलों में रहने वाली नस्ल तानारू के आखिरी व्यक्ति की भी मौत हो गई है। इसकी मौत के बाद से अब वे समाजिक कार्यकर्ता घबरा रहे हैं जो पारंपरिक संस्कृति को बचाने की कोशिशें कर रहे थे। इस इंसान को गड्ढे का इंसान कहा जाता था क्योंकि यह अपना अधिकतर समय गड्ढे में ही बीताता था। इसने कभी किसी से संपर्क करने की कोशिशें नहीं की। जो भी इसके करीब आता था उस पर तीर से हमला कर देता था।
इस पर बनी थी एक फिल्म
बताया जा रहा है कि इसकी उम्र 60 साल थी। इसके परिवार के छह सदस्यों को जमीन हड़पने वालों और किसानों ने मार दिया था। इसके बाद इसने अकेले जंगल में रहने का फैसला किया। सर्ववाइवल इंटरनेशनल की सारा शेनकर का कहना है कि कई खतरनाक हमलों को झेलकर और संपर्क के सभी प्रयासों को फेल कर इस इंसान ने हमेशा अपना सर्वश्रेष्ठ बचाव किया था। वह अपनी नस्ल का अकेला इंसान था। साल 2018 में सरकार की एक टीम ने इस व्यक्ति पर एक फिल्म भी बनाई थी।
सर्ववाइवल की रिसर्च एंड एडवोकेसी डायरेक्टर फियोना वाटसन ने साल 2004 में इस इलाके का दौरा किया था। इस दौरान सरकार की एक निगरानी टीम भी थी। उन्होंने अपने दौरे की जानकारी नहीं दी। सारा ने कहा था, आप उस जीवन की कल्पना करके देखिए जहां पर आसपास एकदम शांति है, जहां हमेशा आप दौड़ते रहते हैं, हमेशा डर में रहते हैं और कभी दुनिया को नजर नहीं आते हैं।
सारा ने कहा कि शायद उसके लोगों को जानवरों का शिकार करने वालों ने मार दिया होगा। यह नस्ल जंगलों में बहुत ही एकांत में रहती है। वह अक्सर हेलीकॉप्टर्स या फिर प्लेन पर तीरों से हमला करता था, क्योंकि उसे डर रहता था कि बाहरी लोग उसकी जान ले सकते है।
जानकारों का मानना है कि ब्राजील में ऐसी कम से कम 100 नस्लें रहती हैं जिनके बारे में किसी को कुछ नहीं मालूम है। इनमें से कुछ कोलंबियां, पेरू और पैराग्वे में भी रहती है।
Rani Sahu
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