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Blasphemy law: जानिए क्या है ईशनिंदा कानून? पाकिस्तान, सउदी समेत कई देशों में है मौत की सजा

Rani Sahu
24 Aug 2022 9:51 AM GMT
Blasphemy law: जानिए क्या है ईशनिंदा कानून? पाकिस्तान, सउदी समेत कई देशों में है मौत की सजा
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हाल ही के दिनों में ईशनिंदा कानून को लेकर कई मामले सामने आ रहे है। हर कोई ईशनिंदा कानून के बारे में बात कर रहा है
हाल ही के दिनों में ईशनिंदा कानून को लेकर कई मामले सामने आ रहे है। हर कोई ईशनिंदा कानून के बारे में बात कर रहा है, लेकिन ज्यादातर लोगों को इस कानून के बारे में सही जानकारी नहीं है। आखिर क्या है ईशनिंदा कानून, ईशनिंदा कानून कितने देशों में लागू है और किन-किन देशों में क्या सजा मिलती है। क्या भारत में भी लागू है ईशनिंदा कानून? आइए जानते हैं।
ईशनिंदा का मतलब सजा-ए-मौत, ईशनिंदा कानून को लेकर पाकिस्तान, अफगानिस्तान, सउदी अरब, ईरान, नाइजीरिया समेत कई देशों में मौत की सजा का प्रावधान है। जबकि 22 देशों में धर्मत्याग के खिलाफ कानून लागू है, यहां के लोग अपनी मर्जी से इस्लाम नहीं छोड़ सकते है। धर्मत्याग कानून के तहत इस्लाम छोड़ने पर मौत की सजा का प्रावधान किया गया है।
क्या है ईशनिंदा कानून?
ईशनिंदा का मतलब किसी धर्म या मजहब की आस्था का ठेस पहुंचाना या उसका अपमान करना, किसी धर्म प्रतीकों, चिह्नों, पवित्र वस्तुओं का अपमान करना या ईश्वर अपमान करना ईशनिंदा माना जाता है। ईशनिंदा को लेकर कई देशों में अलग-अलग कानून लागू हैं। इतना ही नहीं कई कई देशों में तो इसके लिए मौत की सजा का प्रावधान किया गया है।
40 फीसदी देशों में लागू है कानून
प्यू रिसर्च सेंटर के मुताबिक, साल 2019 तक विश्व के 40 फीसदी देशों में ईशनिंदा के खिलाफ कानून या सख्त नीतियां थी। ईशनिंदा कानून ज्यादातर मुस्लिम देशों में लागू है। हालांकि, इस कानून के गलत प्रयोग का भी किया जाता है। मुस्लिम देशों में इस कानून के जरिए हिंदुओं और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार किया जाता है। डेकन रिलिजियस की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस्लामिक देशों में ईशनिंदा कानून के आरोप में बीते 20 सालों में 12 हजार से अधिक लोगों की मौत हुई हैं।
पाकिस्तान में मिलती है उम्रकैद और मौत की सजा
पाकिस्तान में अंग्रेजी शासन में ईशनिंदा के खिलाफ बने कानून को ही लागू किया गया था। बाद में जिया-उल हक की सैन्य सरकार के दौरान साल 1980 से साल 1986 के बीच इस कानून में अन्य धाराएं शामिल की गई थी। ब्रिटिश शासन में बने इस कानून के तहत एक से दस साल तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान था, लेकिन जिया-उल-हक ने 1980 में पाकिस्तान की दंड संहिता में कई धाराएं जोड़ दी थी। इन धाराओं को दो भागों में बांटा गया था, जिसमें पहला अहमदी विरोधी कानून और दूसरा ईशनिंदा कानून था।
अहमदी विरोधी कानून साल 1984 में शामिल हो गया था। इसके तहत अहमदियों को खुद को मुस्लिम या उन जैसा बर्ताव करने और उनके धर्म का पालन करने पर प्रतिबंध था। साल 1986 में इस कानून में अलग धारा जोड़ी गई। जिसमें पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ ईशनिंदा के लिए दंडित करने के लिए मौत या उम्र कैद की सजा का प्रावधान किया गया।
ईशनिंदा के खिलाफ सउदी अरब में मौत की सजा
सऊदी अरब में इस्लामी कानून शरिया लागू है। सऊदी अरब में लागू शरिया कानून के तहत ईशनिंदा करने वाले धर्म को ना मानने वाले घोषित कर दिए जाते हैं। इसके लिए मौत की सजा का प्रावधान है। सउदी में साल 2014 में यह नया कानून बनाया गया।
इसके अलावा जिन देशों में ईशनिंदा कानून लागू है वहां इसका विरोध भी होता रहता है। अक्सर लोग इस कानून पर रोक की मांग करते रहते हैं।
क्या भारत में लागू है कानून?
भारत में इसके लिए अलग से कोई कानून नहीं लाया गया है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19A में अभिव्यक्ति की आजादी का मौलिक अधिकार दिया है। इसके तहत लोग किसी की भी आलोचना कर सकते हैं, लेकिन 1927 में भारतीय दंड संहिता में धारा 295A को जोड़कर प्रावधान किया गया है, यदि कोई व्यक्ति जान-बूझकर और दुर्भावनापूर्ण इरादे से भारत के नागरिकों के किसी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाता है या फिर उस वर्ग के धर्म अपमान करता है तो उसे तीन साल की सजा हो सकती है।
Rani Sahu

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