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BIG BREAKING: फंस गए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, अब खड़ा हुआ धर्म संकट, ये है वजह

Admin2
23 Aug 2021 9:15 AM GMT
BIG BREAKING: फंस गए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, अब खड़ा हुआ धर्म संकट, ये है वजह
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अफगानिस्तान (Afghanistan) से 31 अगस्त तक अपने सैनिकों को निकालने की बात कहने वाले अमेरिका के सामने अब धर्म संकट खड़ा हो गया है. एक तरफ अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) ने संकेत दिए है कि अगर ज़रूरत पड़ी तो वो इस समयसीमा को बढ़ाने पर विचार कर सकते हैं, तो वहीं अब तालिबान ने साफ कर दिया है कि अमेरिकी सेना को तय वक्त में ही वापस जाना होगा.

अब अमेरिका (America) के सामने ये मुश्किल है कि वह तालिबान की धमकी से रुक जाएगा या फिर अपने मित्र देशों की सलाह मानेगा. जो बाइडेन के सामने सबसे बड़ा संकट यही है कि जी-7 देशों के दबाव में अगर वो काबुल में अपने सैनिकों को रोकते हैं, तो काबुल एयरपोर्ट पर तालिबान की चुनौती का सामना करना पड़ सकता है.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की ओर से बयान दिया गया है कि 31 अगस्त तक उनकी कोशिश है सभी अमेरिकी सैनिकों को बाहर निकाल लिया जाए. लेकिन इन दावों के बीच ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा है कि वह अमेरिका से अपील करेंगे कि लंबे वक्त तक सैनिकों को काबुल में ही रखा जाए.
बोरिस जॉनसन (Boris Johnson) ने इसी मसले पर जी-7 देशों की मीटिंग बुलाई है, जिसमें प्रस्ताव रखा जाएगा कि अमेरिकी सेना को लंबे वक्त तक काबुल में रुकना चाहिए. क्योंकि अभी भी रेस्क्यू ऑपरेशन खत्म नहीं हुआ है.
अमेरिकी प्रशासन ने पहले 11 सितंबर तक सभी सैनिकों को वापस बुलाने की बात कही थी. उसके बाद इस डेडलाइन को 31 अगस्त तक कर दिया गया था. तालिबान के बढ़ते कब्जे के बीच अमेरिका 31 अगस्त तक अपना रेस्क्यू मिशन पूरा करने के लिए तैयार है. हालांकि, जो बाइडेन ने रविवार को कहा कि अगर जरूरत पड़ती है तो डेडलाइन बढ़ाई भी जा सकती है.
लेकिन इससे इतर दुनियाभर में हो रही आलोचना के बीच जो बाइडेन ने साफ किया है कि तय समय सीमा में अपने सैनिकों को वापस बुलाने का फैसला बिल्कुल सही है.
तालिबान (Taliban) द्वारा सोमवार को साफ किया गया है कि अमेरिका को 31 अगस्त तक अपनी सेना को वापस बुलाना ही होगा. तालिबान का कहना है कि 31 अगस्त के बाद अगर अमेरिकी सेना रुकती है, तो उसे खामियाजा भुगतना होगा. तालिबान पहले सभी देशों से अच्छे संबंधों की वकालत करता रहा है, लेकिन अमेरिका के मामले में उसने कड़ा रुख अपनाया है.
आपको बता दें कि काबुल में इस वक्त अमेरिका के 6 हजार से अधिक सैनिक हैं, जबकि ब्रिटेन के एक हजार से अधिक सैनिक मौजूद हैं. इनके अलावा नाटो देशों ने अपने-अपने सैनिक तैनात किए हुए हैं, जिनका मकसद अपने नागरिकों को बाहर निकालना है. साथ ही कुछ हदतक अफगानी नागरिकों को भी रेस्क्यू किया जा रहा है.
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