x
इस लिहाज से राष्ट्रपति बाइडन ने जो ट्वीट किया है कि वो भी इसी ओर इशारा कर रहा है।
अमेरिका में दवाई कंपनियां किस तरह से अपनी जेब भर रही हैं उसकी एक बानगी राष्ट्रपति जो बाइडन के ट्वीट से पता चल जाती है। इसको लेकर राष्ट्रपति बाइडन ने जो ट्वीट किया है उसमें उनका दर्द भी छलकता दिखाई दे रहा है। अपने ट्वीट में उन्होंने कहा है कि अमेरिका में एक Insulin की बोतल की लागत दस डालर की आती है। लेकिन, दवा कंपनियां अपने फायदे के लिए इन्हें 30 गुना से भी अधिक कीमत पर जरूरतमंदों को बेचती हैं। बाइडन ने अपने ट्वीट में यहां तक कहा है कि वो जरूरतमंदों को राहत देने के लिए इसकी कीमत को तय करना चाहती थी, लेकिन विपक्ष ने उनकी इस मंशा पर पानी फेर दिया है। इसके लिए उन्होंने रिपब्लिकन सांसदों को जिम्मेदार ठहराया है।
दवा कंपनियों की नीति से दुखी बाइडन
राष्ट्रपति बाइडन ने दवा कंपनियों की इस नीति पर चिंता जताई है। उन्होंने अपने ट्वीट में यहां तक कहा है कि जरा सोचिए आपको अपने बच्चे के लिए इंसुलिन की जरूरत है और आपके पास इसके लिए पैसे नहीं हैं। तो आप क्या करेंगे? सरकार लगातार देश में हमारे बच्चों और परिवार के सदस्यों के जीवन को बचाने के लिए इंसुलिन की कीमत को कम करने की लड़ाई लड़ रही है, लेकिन रिपब्लिकन इसमें बड़ी बाधा उत्पन्न कर रहे हैं। इंसुलिन को लेकर बाइडन का किया गया ट्वीट अमेरिका के लिए कितना खास है, इस बात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि देश में करीब 1 करोड़ लोगों को इसकी जरूरत होती है। इसकी जरूरत खून में गुलूकोज का स्तर देखने के लिए किया जाता है।
चौकाने वाली है रिसर्च
अमेरिका में हुई एक रिसर्च बताती है कि विश्व में इस दशक में इंसुलिन का इस्तेमाल करने वालों की संख्या करीब 20 फीसद तक बढ़ जाएगी। अमेरिका में डाइबिटिक मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। अमेरिका में जिन बीमारियों से सबसे अधिक मौतें होती हैं उनमें डाइबिटीज का नंबर सांतवां है। 2018 में अमेरिका में करीब 3.5 करोड़ डायबिटीज के मरीज थे। वहीं करीब 11 फीसद आबादी इंसुलिन का इस्तेमाल करती थी। इनमें करीब 11 लाख मरीज टाइप 1 के थे जिसमें शरीर के अंदर मौजूद पेनक्रियाज इंसुलिन का निर्माण नहीं करती है। देश में टाइप 2 डाइबिटीज के सबसे अधिक मरीज हैं, जिसमें शरीर में इंसुलिन का इस्तेमाल सही तरह से नहीं होता है। इसकी वजह वहां का लाइफ स्टाइल है।
क्या कहती है सीडीसी की रिपोर्ट
अमेरिका के सेंटर फार डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक देश में करीब 9 करोड़ लोग प्रीडायबिटीज की हालत में हैं। इसका अर्थ है कि यदि इनकी दिनचर्या में सुधार नहीं हुआ तो ये भी मरीजों की श्रेणी में ही शामिल हो जाएंगे। देश के करीब 14 फीसद गर्भवती महिलाएं इस बीमारी से पीडि़त हैं। सीडीसी का ये आंकड़ा अपने आप में बेहद चौकाने वाला है। वहीं यदि इस आंकड़े से इंसुलिन का उपयोग करने वालों और इसके उत्पादन, इसकी लागत और इससे कंपनियों को होने वाले फायदे का अनुमान लगाया जाए तो ये काफी अधिक है। इस लिहाज से राष्ट्रपति बाइडन ने जो ट्वीट किया है कि वो भी इसी ओर इशारा कर रहा है।
Next Story