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बंगलादेश: लोगों को क्यों लग रहा है बैंकों में सेविंग अकाउंट खोलना घाटे का सौदा, नजर आने लगे हैं आर्थिक संकट के लक्षण!
Kajal Dubey
29 Jun 2022 3:16 PM GMT
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दुनिया भर में फैल रहे आर्थिक संकट के शुरुआती लक्षण अब बांग्लादेश में भी नजर आने लगे हैं। यहां बैंकों में बचत खातों में जमा कराई जाने वाली रकम में भारी गिरावट आई है। इससे बैंकों के सामने नकदी की समस्या खड़ी हो गई है। विश्लेषकों के मुताबिक जिस समय सरकार और निजी क्षेत्र को नकदी की सबसे ज्यादा जरूरत है, ये समस्या अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ी चुनौती बन कर आई है।
बांग्लादेश के सेंट्रल बैंक- बांग्लादेश बैंक के ताजा आंकड़ों के मुताबिक जुलाई 2021 से अप्रैल 2022 के बीच बैंकिंग सेक्टर के डिपॉजिट्स में 40 फीसदी की गिरावट आई। इस दौरान बड़ी संख्या में लोगों ने बैंकों में चल रही अपने सेविंग्स स्कीम्स को बंद कराया। समझा जाता है कि महंगाई और आमदनी घटने के कारण बहुत से लोगों के पास बचत करने के लिए रकम न होने के कारण ऐसा हुआ है। कुछ मामलों में यह भी संभव है कि संबंधित लोगों की बैंकों में पैसा रखने में दिलचस्पी न बची हो। विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में बांग्लादेश बैंक ने गुजरे महीनों के दौरान जिस तरह हस्तक्षेप किया, उस वजह से भी ऐसा हुआ हो सकता है।
बैंकों को दो सकती है नकदी की कमी
बांग्लादेश बैंक ने अपनी रिपोर्ट में स्वीकार किया है कि बैंकों के कर्ज देने और उनमें जमा होने वाली रकम के बीच टूट रहे संतुलन से कारोबार जगत को नकदी की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। बचत खातों में रकम जमा कराने की दर में बीते अप्रैल में भारी गिरावट आई। अप्रैल 2021 में बैंकों में बचत वृद्धि दर 13 फीसदी रही थी, जबकि साल भर बाद ये सिर्फ 8.6 फीसदी रह गई।
बांग्लादेश बैंक ने इस बात का जिक्र किया है कि बचत दर में जहां गिरावट आ रही है, वहीं कर्ज लेने की दर में वृद्धि जारी है। इससे बैंकों की नकदी उपलब्ध कराने की क्षमता प्रभावित हो रही है। नकदी की उपलब्धता घटने के कारण कर्ज, ट्रेजरी बिल, और बॉन्ड्स पर ब्याज दरें बढ़ी हैं। ट्रेजरी बिल और बॉन्ड पर ब्याज दर इस महीने 8 से 10 प्रतिशत तक पहुंच गईं, जबकि कुछ महीने पहले ये चार फीसदी से भी कम थी। ट्रेजरी बिल और बॉन्ड पर अधिक ब्याज चुकाने का असर राजकोष पर पड़ेगा।
बैंकों ने घटाईं डिपॉजिट स्कीम्स
बांग्लादेश में मई में मुद्रास्फीति दर आठ साल के सबसे ऊंचे स्तर यानी 7.42 फीसदी पर पहुंच गई। इस महीने बैंकों में जमा राशि पर मिलने वाली ब्याज की दर पांच फीसदी से नीचे थी। इसका मतलब है कि बैंकों में पैसा रखना असल में घाटे का सौदा बन गया है। विशेषज्ञों के मुताबिक महंगाई दर और बचत पर ब्याज दर में फासला और बढ़ने का अंदेशा है। इसलिए समझा जा रहा है कि बैंकों में बचत करने में लोगों की रुचि और घटेगी।
मिडलैंड बैंक के प्रबंध निदेशक मोहम्मद अहसान-उज-जमां ने बांग्लादेश के अखबार द बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि बैंकों ने कई डिपॉजिट स्कीम को बंद कर दिया है। इसकी वजह कम ब्याज दर है, जिससे लोगों को बैंकों में पैसा रखना घाटे का सौदा महसूस होने लगा है। विशेषज्ञों के मुताबिक ये ट्रेंड देश की वित्तीय स्थिति के लिए चिंताजनक है। इसका असर कुल आर्थिक विकास पर पड़ेगा।
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