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दवाओं जैसी आवश्यक वस्तुओं का आयात तक नहीं कर पा रहा है।
श्रीलंका में 2022 के पहले आठ महीनों में डेंगू के करीब 50,000 मामले सामने आए हैं। राष्ट्रीय डेंगू नियंत्रण इकाई (एनडीसीयू) के अनुसार, पिछले आठ महीनों में 49,941 लोगों को डेंगू के इलाज के लिए अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने एनडीसीयू के हवाले से बताया कि आधे मामले पश्चिमी प्रांत से सामने आए, जिनमें कोलंबो, गम्पाहा और कालूतारा जिले शामिल हैं। कोलंबो नगर परिषद (सीएमसी) के मुख्य चिकित्सा अधिकारी रुवान विजेमुनि ने पत्रकारों को बताया कि कोलंबो से 12,754, गमपाहा से 7,496 और कालूतारा से 4,731 मामले सामने आए हैं।
धन की कमी से कई चुनौतियों का करना पड़ रहा सामना
विजेमुनि ने कहा कि उन्हें अपने वार्षिक मच्छर नियंत्रण कार्यक्रमों में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि सीएमसी के पास डेंगू मच्छरों की आबादी को नियंत्रित करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले रसायनों और कीटनाशकों को खरीदने के लिए धन की कमी है। विजेमुनि ने कहा कि डेंगू के मामले आमतौर पर जून और अगस्त के बीच और नवंबर और जनवरी के बीच बढ़ते हैं।
उन्होंने कहा कि ईंधन की कमी से भी मच्छर भगाने के अभियान में बाधा आ रही है। अधिकारियों ने श्रीलंका में 2021 में 25,067 डेंगू बुखार के मामले, 2020 में 31,162 मामले और 2019 में 105,049 मामले दर्ज किए थे। श्रीलंका में डेंगू बुखार एक राष्ट्रव्यापी और साल भर का जोखिम है, लेकिन संचरण दर आमतौर पर मई-जुलाई और अक्टूबर-जनवरी में सबसे अधिक होती है।
ईंधन की किल्लत से जूझ रहा श्रीलंका
श्रीलंका फरवरी से ही ईंधन की किल्लत का सामना कर रहा है। जून के अंत में, सीलोन पेट्रोलियम कार्पोरेशन (सीपीसी) ने निजी वाहनों के लिए ईंधन वितरण को निलंबित कर दिया था। पेट्रोल और डीजल की खेप आने के बाद सीपीसी ने 21 जुलाई से ईंधन वितरण शुरू करने की घोषणा की। ईधन की भारी कमी के बीच वह विदेशी मुद्रा के अभाव में खाद्य पदार्थो व दवाओं जैसी आवश्यक वस्तुओं का आयात तक नहीं कर पा रहा है।
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