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विश्लेषकों की राय- उपचुनाव के नतीजों ने साफ हुई इमरान खान की वापसी की राह
Kajal Dubey
18 July 2022 6:41 PM GMT
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पाकिस्तान के सबसे बड़े प्रांत पंजाब में आए उप-चुनाव नतीजों से शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली संघीय सरकार की जड़ें हिल गई हैं। पाकिस्तान के विश्लेषकों और टीकाकारों ने एक स्वर से ये राय जताई है। 20 सीटों के लिए रविवार को हुए उप-चुनाव को पाकिस्तान के राजनीतिक बैरोमीटर का पैमाना माना गया है। पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) ने इन 20 में से 15 सीटें जीत लीं। सत्ताधारी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज सिर्फ चार सीटें जीत पाई, जबकि एक सीट एक निर्दलीय उम्मीदवार के पाले में गई।
पंजाब कभी भी इमरान खान का गढ़ नहीं रहा। जबकि पीएमएल-नवाज दशकों से निर्विवाद रूप से यहां सबसे मजबूत पार्टी रही है। हालांकि चुनाव अभियान के समय इमरान खान की बढ़ी लोकप्रियता के साफ संकेत मिल रहे थे, लेकिन आम अनुमान यही था कि पीएमएल-नवाज को सबसे ज्यादा सीटें मिलेंगी। ताजा नतीजों का मतलब यह है कि पंजाब की प्रांतीय असेंबली में पीटीआई को बहुमत हासिल हो गया है। अब पीएमएल-नवाज की प्रांतीय सरकार को इस्तीफा देना होगा। लेकिन जानकारों का कहना है कि इन नतीजों का असर सिर्फ पंजाब तक सीमित नहीं रहेगा। बल्कि इसे संघीय स्तर पर इमरान खान की वापसी का संकेत माना गया है।
पाकिस्तान के वरिष्ठ पत्रकार ने अपनी टिप्पणी में कहा- इन नतीजों ने दिखाया है कि इमरान खान की पाकिस्तान के ऐसे सबसे लोकप्रिय नेता के रूप में वापसी हो गई है, जिसके पास जमीनी जन समर्थन है। उन्होंने कहा- 'अब इस्लामाबाद पर गहरे काले बादल छा गए हैं।' एक अन्य पत्रकार मेहरीन जेहरा-मलिक ने कहा है कि अब प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के लिए शासन करना अधिक मुश्किल हो गया है। टीवी एंकर मुबाशिर जैदी ने तो यहां तक कह दिया कि शरीफ को गरिमामय ढंग से अपनी हार स्वीकार कर सत्ता इमरान खान को सौंप देनी चाहिए।
इन चुनाव नतीजों को 'एस्टैबलिशमेंट' के लिए भी तगड़ा झटका बताया गया है। पाकिस्तान में सेना और खुफिया नेतृत्व को एस्टैबलिशमेंट कहा जाता है। इमरान खान आरोप लगाते रहे हैं कि एस्टैबलिशमेंट भी बीते मार्च-अप्रैल में उन्हें सत्ता से हटाने की साजिश में शामिल हुआ था। अमेरिकी थिंक टैंक विल्सन सेंटर में एशिया प्रोग्राम के निदेशक माइकल कुगेलमैन ने उप-चुनाव नतीजों को इमरान खान की 'पाकिस्तान के सबसे अधिक आबादी वाले प्रांत में एक बड़ी जीत और सबसे बड़ा चुनाव इनाम' कहा है। कुगेलमैन ने कहा- 'इमरान खान की जीत उनके आलचकों के लिए एक दमदार संदेश है। संदेश यह है कि सत्ता से हटने के बाद इमरान खान ने जो जन गोलबंदी की है, वह सिर्फ भीड़ नहीं है, बल्कि उसने चुनावी कामयाबी की पृष्ठभूमि भी तैयार कर दी है।'
ब्रिटिश विश्वविद्याय यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टोल में अधिवक्ता अहमद जमाल पीरजादा ने एक ट्विट में कहा- इन चुनाव नतीजों से साफ है कि जन की ताकत सरकारी मशीनरी और एस्टैबलिशमेंट की जोड़तोड़ को परास्त कर सकती है। उधर पाकिस्तानी स्तंभकार नदीम फारूक पारचा ने लिखा है कि पीटीआई ने अब अपने पांव पर खड़ा होना सीख लिया है, जिसके लिए वह बधाई की पात्र है।
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