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राजपक्षे-विक्रमसिंघे के सामने एक नई चुनौती, श्रीलंका में सक्रिय हुआ विपक्ष
Kajal Dubey
28 Jun 2022 11:06 AM GMT
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श्रीलंका में प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे सरकार से लोगों की टूटती उम्मीदों के बीच विपक्ष ने वैकल्पिक सरकार बनाने की पेशकश कर दी है। समझा जाता है कि इससे देश में राजनीतिक अस्थिरता और बढ़ेगी, जो पहले से ही गहरी चिंता का विषय बनी हुई है।
विपक्षी दल जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) के नेतृत्व वाले नेशनल पीपुल्स पॉवर (एनपीपी) गठबंधन ने कहा है कि वह नई सरकार बनाने के लिए तैयार है। उसने संसद में बहुमत जुटाने के लिए वह वर्तमान सरकार के 15 से 20 सदस्यों को उसके साथ आ जुड़ने का न्योता दिया है। एनपीपी के नेता अरुणा कुमारा दिसानायके ने नई सरकार के लिए पहल करने का पहला संकेत बीते रविवार को दिया था। उन्होंने कहा था कि अगर राष्ट्रपति गोटबया राजपक्षे और प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे सत्ता छोड़ने को तैयार हों, तो एनपीपी नई सरकार बनाएगी।
सत्ता से बाहर हों गोटबया
दिसानायके के इस बयान ने देश की राजनीति में नई हलचल पैदा की है। समझा जाता है कि राष्ट्रपति राजपक्षे को हटाने के लिए बीते तीन महीनों से आंदोलन चला रहे संगठनों का समर्थन एनपीपी को मिल सकता है। इन संगठनों का कहना है कि गोटबया राजपक्षे और उनक परिवार मौजूदा आर्थिक संकट के लिए जिम्मेदार है। इसलिए सुधार की दिशा में तभी पहल होगी, जब इस परिवार को सत्ता से बाहर कर दिया जाएगा।
जेवीपी वामपंथी रुझान वाली पार्टी है। मार्क्सवादी- लेनिनवादी विचारों वाली ये पार्टी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से किसी तरह की मदद लेने के खिलाफ है। गोटबया- विक्रमसिंघे सरकार आईएमएफ से कर्ज लेने के लिए बातचीत चला रही है। विश्लेषकों के मुताबिक एनपीपी के पास संसद में समर्थन नहीं है। लेकिन सत्ताधारी गठबंधन के सदस्यों को साथ लेकर अगर उसने वर्तमान सरकार को गिराने की कोशिश की, तो उससे अस्थिरता बढ़ेगी। उस स्थिति में वर्तमान सरकार के लिए आईएमएफ से कर्ज प्राप्त करना और मुश्किल हो जाएगा।
श्रीलंका में अभी भी रोज सरकार विरोधी प्रदर्शन हो रहे हैं। आर्थिक मुश्किलों के जारी रहने के कारण जन असंतोष ऊंचे स्तर पर है। विक्रमसिंघे के प्रधानमंत्री बनने के बाद कुछ दिन तक सरकार विरोधी प्रदर्शनों का तेवर नरम रहा। लेकिन संकट से राहत देने में इस सरकार के अब तक नाकाम रहने के कारण अब असंतोष फिर बढ़ने के संकेत हैं।
एनपीपी ने कही सरकार बनाने की बात
समझा जाता है कि इसी हालत को देखते हुए एनपीपी ने सरकार बनाने की बात कही है। दिसानायके ने कहा है- 'हमें जैसा चाहते हैं, वैसी सरकार बनाने दीजिए। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि हम आज सरकार बना लेंगे और कल संकट को हल कर देंगे। लेकिन हम देश को वह दिशा दे सकते हैं, जिसमें बच्चों का सड़कों पर मरना रुके, जिससे देश की अर्थव्यवस्था ढहने से बच सके। हम ये जिम्मेदारी लेने को तैयार हैं।'
इस बीच संसद में प्रमुख विपक्षी नेता सजित प्रेमदासा ने सरकार विरोधी आंदोलनकारियों से संवाद बनाने की शुरुआत की है। इस सिलसिले में उन्होंने कई आंदोलनकारियों से मुलाकात की है। उनमें कुछ वे प्रदर्शनकारी भी हैं, जिन्होंने एक विरोध स्थल पर प्रेमदासा पर हमला किया था। प्रेमदासा ने कहा है- सबका पहला मकसद यह है कि लोगों की जान बचे। कैसी भी हिंसा हो, वह लोगों की आवाज को नहीं दबा सकती।
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