अमेरिका | रूस और चीन की अंतरिक्ष में बढ़ती हुई ताकत को मात देने की तैयारी कर ली है। यही कारण है कि अमेरिकी स्पेस फोर्स अगले कुछ महीनों में जासूसी सैटेलाइट्स को लॉन्च करेगी। इस सैटेलाइट्स का प्रमुख काम अंतरिक्ष में रूस और चीन की हर हरकत पर नजर रखना है। कहा जा रहा है कि इस सैटेलाइट्स को जुलाई के बाद लॉन्च किया जाएगा।
इससे पहले उत्तर कोरिया की ओर से जासूसी सैटेलाइट की लॉन्चिंग पर अमेरिका ने उसकी कड़ी आलोचना की थी। अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता एडम हॉग ने कहा था कि वॉशिंगटन उत्तर कोरिया की ओर से जासूसी उपग्रह प्रक्षेपण की कड़ी निंदा करता है, क्योंकि उसने प्रतिबंधित बैलिस्टिक मिसाइल तकनीक का प्रयोग किया, तनाव बढ़ाया और क्षेत्र में व अन्य जगहों पर सुरक्षा व्यवस्था को अस्थिर करने का खतरा पैदा किया। हालांकि, उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग-उन की बहन ने अमेरिका की इस टिप्पणी पर पलटवार किया था और उस पर 'गैंगस्टर जैसा’ पाखंड करने का आरोप लगाया था। वहीं, कुछ दिन पहले ही ऐसी रिपोर्ट आई थी कि चीन की एक सैटेलाइट ने अंतरिक्ष के अंदर अमेरिकी सैटेलाइट की जासूसी की थी। इससे अमेरिकी रक्षा विभाग में हड़कंप मच गया था। इस घटना के बाद से ही अंतरिक्ष में चीन और रूस को कड़ी टक्कर देने की तैयारियां शुरू हो गई थी।
साइलेंट बार्कर नाम से बुलाया जाने वाला सैटेलाइट्स का यह नेटवर्क जमीन आधारित सेंसर्स और पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित उपग्रहों की क्षमता बढ़ाने में अपनी तरह का पहला तंत्र होगा। इन सैटेलाइट्स को पृथ्वी से लगभग 22,000 मील (35,400 किलोमीटर) ऊपर रखा जाएगा और यह उसी गति से घूमता है, जिसे जियोसिंक्रोनस ऑर्बिट के रूप में जाना जाता है।
बता दें, जियोसिंक्रोनस ऑर्बिट उपग्रह पृथ्वी से 22,236 मील (35,786 किलोमीटर) ऊपर काम करते हैं। वहां उनकी गति पृथ्वी के अपनी धुरी पर घूमने की स्पीड से मेल खाती है। ऐसे में उन्हें पृथ्वी की सतह पर किसी खास बिंदु पर स्थिर होकर नजर रखने का मौका मिल जाता है। कम्यूनिकेशन और अन्य उद्देश्यों के लिए इस कक्षा का काफी उपयोग किया जाता है। दुनिया के अधिकतर देशों के कम्यूनिकेशन सैटेलाइट इसी इलाके में मौजूद हैं।
स्पेस फोर्स यानी अतंरिक्ष बल राष्ट्रीय टोही कार्यालय (एनआरओ) के साथ सैटेलाइट्स लॉन्च करने की तैयारी में लगा है। उसका कहना है कि ये सैटेलाइट्स समय पर खतरे का पता लगाने, अंतरिक्ष से वस्तुओं को खोजने और ट्रैक करने की क्षमता प्रदान करेगा।
एनआरओ ने जानकारी देते हुए बताया कि साइलेंट बार्कर नाम से बुलाए जाने वाले सैटेलाइट्स को जुलाई के बाद लॉन्च किया जा सकता है। इसके लॉन्च करने की तारीख फेसबुक और ट्विटर पर 30 दिन पहले बताई जाएगी।