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नवनीत पाण्डे के साथ कविता की एक शाम मैं सारे चक्रव्यूह भेद जाऊंगा
लखनऊ। हिंदी और राजस्थानी के कवि नवनीत पाण्डे (बीकानेर, राजस्थान) एक दिन के लिए लखनऊ आए। उनके साथ मिलने जुलने तथा उन्हें सुनने का कार्यक्रम पुस्तक उत्सव, गोमती रिवर फ्रंट पर रखा गया। इस मौके पर कृतियों का भी आदान प्रदान हुआ।
नवनीत जी ने करीब आधा दर्जन कविताएं सुनाईं । ‘दिल्ली’ शीर्षक कविता में वे देश की राजधानी के वैविध्य तथा उसके रंग रूप से रूबरू कराते हैं- ‘केवल नाम नहीं है किसी शहर का/पहचान है एक देश की /…दिल्ली में एक नहीं /कई दिल्लियां हैं/.. सबको जानती है दिल्ली/ सबको छानती है दिल्ली/सबको पालती है दिल्ली /सबको ढ़ालती है दिल्ली /..दिल्ली अर्थात सरकार /दिल्ली अर्थात दरबार..’।
नवनीत पांडे ने ‘सुनो मुक्तिबोध’ कविता का भी पाठ किया और यह बताया कि मुक्तिबोध मात्र एक कवि नहीं हैं बल्कि वह दमन और प्रतिरोध का प्रतीक है। यह दौर है जब ब्रह्मराक्षसों के हाथों मुक्तिबोधों को प्रताड़ित किया जा रहा है। वह कहते हैं ‘सुनो मुक्तिबोध! मैं भी घिर गया हूं/ तुम्हारी तरह ब्रह्मराक्षसों के रचे चक्रव्यूह में /मगर मैं अभिमन्यू नहीं हूं कि लड़ते-लड़ते मारा जाऊंगा/ मैं सारे चक्रव्यूह भेद जाऊंगा/ उठाते हुए तुम्हारी ही तरह/अभिव्यक्ति के सारे खतरे’।
इस मौके पर नवनीत जी ने ‘हम सब ब्रह्मराक्षस’, ‘वे अर्जुनों के आचार्य हैं’, ‘अपने अंगूठे नहीं देने हैं’ आदि के साथ कुछ छोटी कविताएं भी सुनाईं । उनकी ‘बुद्ध’ कविता को काफी साराहा गया जिसमें वह कहते हैं ‘बुद्ध ने कभी किसी से नहीं कहा/ बुद्ध बनो /जिसने भी देखा बुद्ध को/ मिला बुद्ध से/ बुद्ध होता गया’।
कविता पाठ के बाद अच्छी चर्चा हुई। अनिल कुमार सिंह (फैज़ाबाद), चन्द्रेश्वर, भगवान स्वरूप कटियार, बंधु कुशावर्ती, अजीत प्रियदर्शी, आशीष सिंह, धनंजय शुक्ला, कौशल किशोर आदि ने अपने विचार रखे तथा कहा कि नवनीत पांडे की कविता में मनुष्यता की चिंता है और उसे बचाने की बात है। कविताएं सत्ता और व्यवस्था के विरुद्ध प्रतिपक्ष में खड़ी हैं। मुक्तिबोध पर लिखी उनकी कविता मुक्तिबोध तक सीमित नहीं है। साहित्य के क्षेत्र में जो विचलन है उस पर भी नवनीत जी की नजर है। यहां अभिमन्यु का भी नया संदर्भ है। कविता में व्यंग्य और मित कथन है। इससे कविता दूर तक जाती है। इनकी भाषा में स्पष्टता और अभिव्यक्ति में सहजता और सरलता है।
नवनीत जी के आग्रह पर स्थानीय कवियों ने भी एक एक कविता सुनाई। आशीष सिंह और मुहम्मद कलीम इकबाल से कविताएं तथा बंधु जी से अवधी में गीत सुनना कविता की इस शाम की उपलब्धि थी। इस कार्यक्रम का कुशल संयोजन व संचालन अजीत प्रियदर्शी ने किया। इस अवसर पर शिक्षक अतुल सिंह, पत्रकार पीयूष, के पी तिवारी, वेद प्रकाश पाल, अश्विनी कुमार सिंह आदि मौजूद थे।