उत्तर प्रदेश

केजीएमयू के डॉक्टरों ने दवाओं की गुणवत्ता पर उठाए सवाल

23 Jan 2024 12:08 AM GMT
केजीएमयू के डॉक्टरों ने दवाओं की गुणवत्ता पर उठाए सवाल
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लखनऊ: केजीएमयू में डॉक्टर, कर्मचारी और मरीजों को उपलब्ध कराई जाने वाली दवा की गुणवत्ता सवालों के घेरे में है. दवाओं की गुणवत्ता पर किसी और ने नहीं बल्कि केजीएमयू के डॉक्टरों ने ही उंगली उठाई है. बाकायदा केजीएमयू शिक्षक संघ ने सर्वे कराया. फीडबैक के आधार पर रिपोर्ट तैयार की. इस संबंध में संघ …

लखनऊ: केजीएमयू में डॉक्टर, कर्मचारी और मरीजों को उपलब्ध कराई जाने वाली दवा की गुणवत्ता सवालों के घेरे में है. दवाओं की गुणवत्ता पर किसी और ने नहीं बल्कि केजीएमयू के डॉक्टरों ने ही उंगली उठाई है. बाकायदा केजीएमयू शिक्षक संघ ने सर्वे कराया. फीडबैक के आधार पर रिपोर्ट तैयार की. इस संबंध में संघ ने केजीएमयू कुलपति डॉ. सोनिया नित्यानंद को पत्र भेजा. सुधार के बावत सुझाव दिया.

केजीएमयू में 500 से अधिक शिक्षक, 1000 रेजीडेंट डॉक्टर, 6000 से ज्यादा नर्सिंग व पैरामेडिकल स्टाफ हैं. 1000 से अधिक अन्य श्रेणी के कर्मचारी हैं. डॉक्टर-कर्मचारियों के साथ इनके परिवारीजनों को केजीएमयू मुफ्त दवाएं मुहैया कराता है. लोकल परचेज से दवाएं खरीद कर उपलब्ध कराई जाती हैं.

पुरानी बीमारी की दवा में भी अड़ंगेबाजी संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि ब्लड प्रेशर, थायराइड, डायबिटीज, दिल, न्यूरो समेत दूसरी पुरानी बीमारियों की दवा एक से दो माह बाद दी जा रही है. कुछ बीमारियों के लिए लंबे समय तक इलाज की जरूरत होती है. लिहाजा एक साथ ज्यादा दिन की दवा मंगानी पड़ती है. प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह का कहना है कि कसी भी शिकायत के लिए समितियां हैं. इस मुद्दे को भी उचित माध्यम से समाधान के लिए उठाया जाएगा. प्रयास किए जा रहे हैं.

समय पर नहीं मिल रहीं मरीजों को दवाएं: फीडबैक दो पहलुओं पर था. पहला उन दवाइयों पर जो डॉक्टर मरीजों को लिखते हैं. दूसरा वे जो अपने या परिवारीजनों के लिए लेते हैं. समय पर दवा न मिलने की शिकायत मिली. दवाओं की गुणवत्ता भी ठीक नहीं रहती है. दवा का ब्रांड नेम बदल दिया जाता है. यहां तक दवा के कम्पाउंड में भी तब्दीली कर देते हैं. यह बदलाव अपनी मर्जी से किया जा रहा है.

15 विभाग के डॉक्टरों ने लिया हिस्सा: केजीएमयू शिक्षक ने दवाओं की गुणवत्ता, समय पर दवा की उपलब्धता आदि मसले पर सर्वे कराया. बाकायदा गूगल शीट पर डॉक्टरों से फीडबैक मांगा गया. यह प्रक्रिया गुजरे वर्ष नवम्बर में शुरू की. फीडबैक फार्म एक सप्ताह के भीतर भरने का समय दिया गया. 15 विभागों के डॉक्टरों ने सर्वे में हिस्सा लिया.

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