प्रौद्योगिकी

आफत बनकर आ रहीं है अंतरिक्ष से ये चट्टानें

Khushboo Dhruw
31 May 2023 6:54 PM GMT
आफत बनकर आ रहीं है अंतरिक्ष से ये चट्टानें
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एस्टरॉयड पिछले कई महीनों से लगातार धरती के करीब से होकर गुजर रहे हैं। एस्टरॉयड खनिज और पत्थर से बनी चट्टानें होती हैं। ये आकार में 50 फीट से 500 फीट तक जितने बड़े भी हो सकते हैं। एस्टरॉयड लगातार सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते हैं, लेकिन इन्हें ग्रह की श्रेणी में नहीं रखा गया है। ये खगोलीय पिंड इन दिनों सबसे ज्यादा ट्रैक किए जा रहे हैं। पिछले कुछ दिनों में एस्टरॉयड या क्षुद्र ग्रह पृथ्वी के काफी नजदीक से होकर गुजर चुके हैं। जब भी कोई एस्टरॉयड पृथ्वी की दिशा में आगे बढ़ता है तो नासा उसे ट्रैक करती है। आज भी नासा ने कई एस्टरॉयड के धरती के करीब से गुजरने का अलर्ट जारी किया है।
अंतरिक्ष में खोज करने वाली अमेरिकी एजेंसी NASA ने एस्टरॉयड ट्रैकिंग के लिए जेट प्रॉपल्शन लेबोरेटरी बनाई है। यह एस्टरॉयड पर नजर रखती है। आज एक एस्टरॉयड के धरती की ओर आने का अलर्ट जारी किया है। जबकि कल भी 2 एस्टरॉयड पृथ्वी के पास से गुजरने वाले हैं। आइए जानते हैं आने वाली इन चट्टानों से पृथ्वी को कितना खतरा है। JPL के अनुसार, आज 2012 KP24 एस्टरॉयड पृथ्वी के करीब आने वाला है। यह 58 फीट का चट्टानी टुकड़ा है जो किसी बड़े मकान जितना है। नासा ने कहा है कि 2012 KP24 एस्टरॉयड जब धरती के सबसे करीबी बिंदु पर होगा तो इसकी दूरी यहां से सिर्फ 3,940,000 किलोमीटर ही रह जाएगी, जो कि बहुत ही कम दूरी है।
इस चट्टानी टुकड़े के लिए अंतरिक्ष वैज्ञानिक आज अलर्ट पर हैं। इसके अलावा 2 और एस्टरॉयड कल धरती की ओर बढ़ रहे होंगे और इसके पास से गुजरेंगे। इनमें से एक का नाम 2023 KE5 एस्टरॉयड है। यह 77 फीट का खगोलीय पिंड है जो एक बड़े हवाई जहाज जितना है। यह धरती से 2,260,000 किलोमीटर यानि कि लगभग 22 लाख किलोमीटर की दूरी से होकर गुजरने वाला है।
खतरा यहीं पर समाप्त नहीं होने वाला है। कल यानि 1 जून को 2023 JM1 नामक एस्टरॉयड भी धरती की ओर आने वाला है। इसका साइज 72 फीट का है। ये दोनों ही एस्टरॉयड एयरप्लेन जितने बड़े हैं। 2023 JM1 नाम के एस्टरॉयड की पृथ्वी के सबसे करीब पहुंचने पर दूरी 3,870,000 किलोमीटर बताई गई है। अगर इनमें से कोई भी एस्टरॉयड धरती से टकरा जाता है तो धरती पर बड़ी तबाही आ सकती है। हालांकि नासा ने ऐसे किसी खतरे की चेतावनी अभी तक जारी नहीं की है। फिर भी, अंतरिक्ष वैज्ञानिक एस्टरॉयड को लेकर शांत नहीं बैठ सकते हैं, क्योंकि ये कभी भी अपनी दिशा बदल सकते हैं।
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