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HDFC और HDFC Bank के विलय के बाद एक और बैंक के विलय की तैयारी चल रही है. प्राइवेट बैंक आईडीएफसी फर्स्ट बैंक (IDFC First Bank) और IDFC फाइनेंस होल्डिंग के मर्जर को हरी झंडी मिल गई है. IDFC First Bank के बोर्ड ने इस विलय के लिए मंजूरी दी है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस मर्जर का अनुपात 155:100 रहेगा और इस साल के अंत तक विलय की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी.
2015 में हुई थी शुरुआत
आईडीएफसी फर्स्ट बैंक (IDFC First Bank) को जुलाई 2015 में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) से लाइसेंस मिला था और बैंक ने 1 अक्टूबर 2015 से ऑपरेशन शुरू किया था. इस बैंक में 2020 तक करीब 20,222 कर्मचारी थे. विलय के बाद कर्मचारियों को लेकर प्रबंधन क्या रणनीति बनाता है, इसका पता आने वाले समय में ही चलेगा. IDFC First Bank के बोर्ड ने मर्जर का अनुपात 155:100 तय किया है, जिसका अर्थ है कि IDFC के 100 शेयर के बदले IDFC First Bank के 155 शेयर दिए जाएंगे.
बढ़ेगी शेयर बुक वैल्यू
आईडीएफसी फर्स्ट बैंक की ओर से शेयर बाजार को दी गई सूचना में कहा गया है कि मर्जर से आईडीएफसी लिमिटेड और आईडीएफसी फर्स्ट बैंक के कॉरपोरेट ढांचे का सरलीकरण होगा. इस विलय से बैंक का आकार बढ़ेगा और उसे मजबूती के साथ खड़ा करने में मदद मिलेगी. Bank ने एक रेगुलेटरी फाइलिंग में बताया है कि विलय के अमल में आने बाद बैंक के प्रति शेयर बुक वैल्यू में 4.9 फीसदी की बढ़ोतरी होगी. मर्जर की प्रक्रिया को इस साल के अंत तक पूरा कर लिया जाएगा.
अच्छी है आर्थिक सेहत
IDFC First Bank की फाइनेंशियल कंडीशन की बात करें, तो वित्त वर्ष 2023 की मार्च तिमाही में बैंक का शुद्ध मुनाफा 134% बढ़ा था. यह पिछले साल की इसी तिमाही के 343 करोड़ रुपए से बढ़कर 803 करोड़ रुपए पहुंच गया. जबकि पूरे वित्त वर्ष में बैंक का शुद्ध मुनाफा 2437.13 करोड़ रुपए रहा, जो पिछले वित्त वर्ष के 145 करोड़ रुपए से काफी ज्यादा है. स्टॉक मार्केट में बैंक के प्रदर्शन की बात करें, तो इसका शेयर 81.70 रुपए पर ट्रेड कर रहा है. सोमवार को इसमें 2.90% की बढ़त दर्ज हुई थी. बीते 5 दिनों में इसने 5.90% का रिटर्न दिया है.
Apurva Srivastav
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