बातों के उस्ताद हमेशा कहते रहे कि अभिभावकों को अपने सपने अपने बच्चों पर नहीं लादने चाहिए। उनकी नैसर्गिक प्रतिभा को पोषित करना चाहिए। दिलचस्प है