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प्रत्यक्ष की जीवंतता
उस छोटे से बाजार में किताबों की पहले दस-बारह गुमटियां हुआ करती थीं। अब वहां मात्र एक पुस्तक विक्रेता बचा है- लल्लू। यह पुस्तैनी धंधा है उसका। साथ में लगी एक स्टेशनरी की गुमटी भी है।
30 March 2022 5:13 AM GMT