खेल
युजवेंद्र चहल से बेहतर कौन, 5 साल में किस स्पिनर ने लिए ज्यादा विकेट
Manish Sahu
24 Aug 2023 9:24 AM GMT

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खेल: भारत का बेस्ट स्पिनर कौन? एशिया कप के लिए भारतीय टीम घोषित होने के बाद एक बार फिर यह बहस छिड़ गई है. इस बहस के केंद्र में हैं दो गेंदबाज कुलदीप यादव और युजवेंद्र चहल. कुलदीप यादव एशिया कप की भारतीय टीम में शामिल हैं, जबकि चहल को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है. इस टीम की घोषणा के बाद चहल समर्थकों का कहना है कि उनके साथ अन्याय हुआ है. अब इस बहस में भारत के दिग्गज स्पिनर हरभजन सिंह भी कूद पड़े हैं. हरभजन सिंह ने साफ शब्दों में कहा, ‘एशिया कप की टीम में एक कमी है और वह कमी युजवेंद्र चहल हैं. चहल मौजूदा समय का भारत के बेस्ट स्पिनर हैं.’ क्या सच में युजी के साथ अन्याय हुआ है. क्या युजवेंद्र आज की तारीख में भारत के बेस्ट स्पिनर हैं. आइए वनडे मैचों के आंकड़ों के आधार पर यह जानने की कोशिश करते हैं.
क्रिकेट ऐसा खेल है, जिसमें अनगिनत तरीके के आंकड़े उपलब्ध हैं. जैसे कि अगर किसी गेंदबाज को आंकड़ों से परखना हो तो पहले तो उसके विकेट देखे जाते हैं. इसके बाद नंबर आता है औसत, इकोनॉमी रेट, स्ट्राइक रेट जैसे मानकों का. अगर किन्हीं दो गेंदबाजों की तुलना हो रही हो और वे इन मानकों पर बराबर दिखें तो फिर यह देखना होगा कि उन्होंने यह प्रदर्शन किस टीम के खिलाफ किया और पिच कैसी थी. हमने इस लेख में इन्हीं मानकों को आधार बनाकर भारत के एक्टिव स्पिनरों की तुलना की है. ये एक्टिव स्पिनर हैं युजवेंद्र चहल, कुलदीप यादव, रवींद्र जडेजा, रविचंद्रन अश्विन, अक्षर पटेल और वॉशिंगटन सुंदर.
जडेजा ने लिए सबसे अधिक विकेट
भारत के एक्टिव स्पिनरों में रवींद्र जडेजा का पलड़ा बाकी साथियों पर भारी है. जडेजा ने 177 वनडे मैचों में 194 विकेट लिए हैं. अश्विन के नाम 113 मैच में 151 विकेट हैं. कुलदीप ने 84 मैच में 141 और युजवेंद्र चहल ने 72 मैच में 121 विकेट लिए हैं. अक्षर पटेल के नाम 52 मैच में 58 और वॉशिंगटन सुंदर के नाम 16 मैच में 16 विकेट हैं.
लेकिन यहां एक बात ध्यान रखनी होगी कि रवींद्र जडेजा भारतीय टीम में स्पिनर के तौर पर नहीं खेलते हैं. उनकी जगह ऑलराउंडर की है. जडेजा मौजूदा भारतीय टीम के जरूरी सदस्य बन गए हैं. एशिया कप 2023 हो या विश्व कप 2023, जड्डू के बिना भारतीय टीम की कल्पना नहीं की जा सकती. जाहिर है जब टीम में कुलदीप यादव या युजवेंद्र चहल जैसे स्पेशलिस्ट स्पिनर को चुनने की बात आती है तो जडेजा उस लिस्ट में नहीं होते.
अश्विन ज्यादा विकेट लेकर भी क्यों पिछड़े
रवींद्र जडेजा के अलावा रविचंद्रन अश्विन भी कुलदीप या चहल से ज्यादा विकेट ले चुके हैं. वे एक्टिव भी क्रिकेटर हैं. कई पूर्व क्रिकेटर या कोच अश्विन को भी भारतीय वनडे टीम में लेने की वकालत करते रहे हैं. लेकिन चाहे विराट कोहली-रवि शास्त्री की जोड़ी हो या रोहित शर्मा-राहुल द्रविड़ की. इन दोनों कप्तान-कोच की जोड़ी अश्विन को वनडे टीम में नहीं रखना चाहती. इसी का नतीजा है कि अश्विन पिछले छह साल में सिर्फ 11 वनडे मैच खेल सके हैं. और यही वजह कि जब हरभजन सिंह वनडे टीम के लिए भारत के बेस्ट स्पिनर की बात करते हैं तो वे अश्विन को उस लिस्ट में नहीं रखते.
चहल को मिल रही सिर्फ एक स्पिनर से चुनौती
स्पष्ट है कि वनडे टीम में स्पेशलिस्ट स्पिनर के लिए युजवेंद्र चहल को उनके बेस्ट पार्टनर कुलदीप यादव से ही चुनौती मिल रही है. भारतीय टीम मैनेजमेंट पर इन दोनों में से ही किसी एक को चुनने का दबाव है. क्रिकेटप्रेमी जानते हैं कि वर्ल्ड कप के लिए सिर्फ 15 सदस्यीय टीम चुनी जाती है. अगर प्लेइंग इलेवन में कॉम्बिनेशन के लिहाज से देखा जाए तो ज्यादातर मैचों में 2 स्पिनर ही खेलेंगे. इन 2 में एक स्पिनर रवींद्र जडेजा होंगे. अब लड़ाई इस बात की है कि प्लेइंग इलेवन में दूसरा स्पिनर कौन हो. फिलहाल इस सवाल के जवाब में कुलदीप यादव आगे निकल गए हैं और इसकी वजह भी है.
2019 में शुरू हुई ‘कुलचा’ का विकल्प ढूंढ़ने की कोशिश
‘कुलचा’ के नाम से लोकप्रिय कुलदीप यादव और युजवेंद्र चहल की जोड़ी 2019 वर्ल्ड कप से पहले सुपरहिट स्पिन जोड़ी थी. वर्ल्ड कप 2019 में टीम इंडिया के सेमीफाइनल हार जाने के बाद भारतीय टीम मैनेजमेंट नए-नए स्पिनर को मौका देना शुरू करता है. इसकी वजह यह थी कि युजवेंद्र चहल जितना टी20 मैचों में असरदार थे, उतने वनडे मैचों में नहीं. कुलदीप यादव के बारे में भी यही कहा जा सकता है. तकरीबन 3 साल के प्रयोग के बाद नतीजा यह निकलता है कि भारत के पास क्वालिटी स्पिनर्स का नितांत अभाव है और यही कारण है कि टीम मैनेजमेंट कुलदीप यादव और युजवेंद्र चहल की ओर ही बड़ी उम्मीद के साथ देखना शुरू करता है. इस तरह 2022-23 में ‘कुलचा’ टीम में जोरदार वापसी करते हैं.
2022 में युजी ने किया शानदार प्रदर्शन
साल 2022 में युजवेंद्र चहल को 14 वनडे मैचों में मौका दिया जाता है, जिसमें वे 27.09 की औसत से 21 विकेट लेते हैं. लेकिन 2023 में उन्हें सिर्फ दो मैचों में ही मौका मिलता है, जिनमें वे 3 विकेट लेते हैं. इसी तरह कुलदीप 2022 में 8 मैच में 27.75 की औसत से 12 विकेट लेते हैं. फिर साल 2023 में वे अब तक 11 मैच में 17.18 की औसत से 22 विकेट ले चुके हैं. यानी, 2023 ही वह साल है जब कुलदीप अपने साथी युजवेंद्र चहल पर आंकड़ों में भी भारी होने लगते हैं. क्रिकेट की भाषा में कहें तो यह फॉर्म की बात है कि कुलदीप उस समय अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं, जब टीम को उनमें और युजवेंद्र चहल में किसी एक को चुनना है. इसके अलावा एक और बात जो कुलदीप के पक्ष में जाती है, वह है उनका चाइनामैन बॉलर होना. क्रिकेट की यह वो विधा है, जिसमें बहुत कम गेंदबाज अपना दबदबा बना पाते हैं. और अगर चाइनामैन और लेग स्पिनर या ऑफ स्पिनर एक ही समय पर पीक पर हों तो सबसे मुश्किल होता है पहले वाले गेंदबाज को खेलना, जो कुलदीप हैं.
कुलमिलाकर कह सकते हैं कि युजवेंद्र चहल आंकड़ों में कुलदीप यादव के एकदम बराबर हैं. लेकिन वे फॉर्म में पिछड़ गए हैं. वैसे भी जब कभी किसी टीम में एक जैसे दो खिलाड़ी हों और मौका किसी एक को मिलना हो तो इसका अधिकार कप्तान को दिया जाता है, टीम मैनेजमेंट को दिया जाता है. इस बार भी अगर कुलदीप यादव को एशिया कप की टीम में मौका मिला है और युजवेंद्र चहल को नहीं मिला है तो इसके लिए किसी को दोषी ठहराए जाने की जरूरत नहीं है. यह तो कॉल लेने की बात थी. कप्तान रोहित शर्मा और कोच राहुल द्रविड़ को कुलदीप यादव या युजवेंद्र चहल में से किसी एक खिलाड़ी को चुनना था और उन्होंने अपना फैसला बता दिया है.
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