x
कोलकाता। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) को टैक्स के एक मामले में राहत मिली है. कलकत्ता हाईकोर्ट (Calcutta High Court) ने सौरव गांगुली के मामले में ट्रिब्यूनल के ब्याज भुगतान के आदेश के खिलाफ सर्विस टैक्स कमिश्नर (Commissioner of Service Tax) की अपील को खारिज कर दिया है. जस्टिस टी एस शिवज्ञानम और जस्टिल हिरण्मय भट्टाचार्य ने कहा कि इस अपील पर गौर करने का कोई मतलब नहीं बनता.
ट्रिब्यूनल ने अपने आदेश में गांगुली से सर्विस टैक्स के रूप में गलत तरीके से ली गई राशि ब्याज समेत लौटाने का कहा था. कोलकाता स्थित कस्टम, एक्साइज और सर्विस टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल (ईस्ट जोनल बेंच) ने 14 दिसंबर, 2020 को मांगी गई राशि और उस पर ब्याज गांगुली को लौटाने को कहा था. रेवेन्यू डिपार्टमेंट ने हाईकोर्ट इस आदेश को चुनौती दी थी.
यह मामला एक दशक से भी अधिक पुराना है. गांगुली को 26 सितंबर, 2011 को कारण बताओ नोटिस दिया गया था. नोटिस में उनसे ब्रांड के प्रचार-प्रसार को लेकर सर्विस टैक्स मांगा गया था. कारण बताओ नोटिस में जो सर्विस टैक्स की मांग की गई थी, उसकी सर्विस टैक्स कमिश्नर ने नवंबर, 2012 में अपने फैसले में पुष्टि की. साथ ही ब्याज और जुर्माना देने का भी निर्देश दिया.
गांगुली ने हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश के तहत 1,51,66,500 रुपये 26 फरवरी, 2014 को जमा किए और 50 लाख रुपये मार्च, 2014 में दिए. गांगूली की याचिका पर हाईकोर्ट ने 30 जून, 2016 को कहा कि वह न केवल दी गयी राशि बल्कि 10 फीसदी की दर से ब्याज पाने के भी हकदार हैं.
रेवेन्यू डिपार्टमेंट के आदेश को चुनौती देने के बाद, बेंच ने फरवरी, 2017 में कहा कि गांगुली को ट्रिब्यूनल के समक्ष अपने मामले को रखना चाहिए और सिंगल बेंच ने याचिका पर विचार की भूल की. गांगुली ने उसके बाद ट्रिब्यूनल के समक्ष अपील दायर की. ट्रिब्यूनल ने गांगुली की अपील को स्वीकार करते हुए 9 फरवरी, 2021 को ब्याज समेत राशि वापस करने का आदेश दिया.
उसके बाद रेवेन्यू डिपार्टमेंट ने पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी को ब्याज भुगतान के आदेश को बेंच में चुनौती दी. बेंच ने इस सप्ताह की शुरुआत में कहा कि यह साफ नहीं है कि जब ब्याज का भुगतान किया जा चुका है, तो अपील करने का क्या मतलब है. गांगुली को ब्याज के रूप में 59,85,338 रुपये वापस किए गए थे.
Next Story