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पूर्व कप्तान जफर इकबाल ने तोक्यो जाने वाली भारतीय पुरुष हॉकी टीम को आत्ममुग्धता से बचने की दी सलाह
Ritisha Jaiswal
3 July 2021 1:12 PM GMT
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पूर्व कप्तान जफर इकबाल ने तोक्यो जाने वाली भारतीय पुरुष हॉकी टीम को आत्ममुग्धता से बचने की सलाह देते हुए कहा कि ओलंपिक का माहौल परीक्षण स्पर्धाओं से बहुत अलग होगा
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | पूर्व कप्तान जफर इकबाल ने तोक्यो जाने वाली भारतीय पुरुष हॉकी टीम को आत्ममुग्धता से बचने की सलाह देते हुए कहा कि ओलंपिक का माहौल परीक्षण स्पर्धाओं से बहुत अलग होगा और इसमें प्रयोग के लिए कोई जगह नहीं होगी। तोक्यो खेलों के लिए 30 दिन से भी कम का समय बचा है और ऐसे में भारतीय टीम इस प्रतियोगिता के लिए कमर कस रही हैं।
हॉकी इंडिया से जारी विज्ञप्ति में इकबाल ने कहा, '' भारतीय टीम विश्व रैंकिंग में चौथे स्थान पर है जो अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है। मैंने अर्जेंटीना के खिलाफ (दौरे पर) उनका प्रदर्शन देखा था, जहां उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया था।'' उन्होंने कहा, '' मुझे बस इतना कहना है कि ओलंपिक का माहौल परीक्षण मैचों से बहुत अलग होता है। यहां किसी प्रयोग के लिए कोई जगह नहीं होती है। प्रत्येक खिलाड़ी के लिए आत्मविश्वास और खुद निर्णय लेने की क्षमता टीम के लिए सबसे जरूरी गुण होंगे।''
अग्रिम पंक्ति के इस दिग्गज खिलाड़ी ने 1980 मास्को ओलंपिक में भारतीय टीम द्वारा पिछली बार स्वर्ण पदक जीतने के अभियान की विजयी यादों को भी ताजा किया। उन्होंने कहा, ''1980 की याद हमेशा मेरे साथ रहेगी। यह एक व्यक्तिगत उपलब्धि से अधिक था क्योंकि यह देश के लिए भी बहुत बड़ा क्षण था। यह देश के लिए हॉकी में आठवां स्वर्ण पदक था। यह एक ऐसा रिकॉर्ड है जो निश्चित रूप से लंबे, लंबे समय तक कायम रहेगा।'' '
जेंटलमैन ऑफ हॉकी' के नाम से पहचाने जाने वाले इकबाल ने कहा, '' यह हमारे लिए एक कठिन अभियान था क्योंकि उस टीम के अधिकांश सदस्य युवा थे और पहली बार ओलंपिक में खेलने वाले खिलाड़ी थे। मेरा मानना है कि केवल वासुदेवन भास्करन और बीर बहादुर छेत्री को ही 1976 के ओलंपिक में खेलने का अनुभव था। मुझे याद है कि स्पेन के खिलाफ फाइनल काफी मुश्किल मैच था। फाइनल में मोहम्मद शाहिद हमारे प्रमुख खिलाड़ी थे और उन्होंने उस दिन असाधारण खेल दिखाया था।''
इकबाल को 1984 लॉस एंजिलिस ओलंपिक के उद्घाटन समारोह में भारतीय दल के ध्वजवाहक होने का गौरव प्राप्त हुआ था। उन्होंने इस ओलंपिक में भी भारतीय टीम की अगुवाई की थी। उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ चैम्पियन्स ट्रॉफी के मुकाबले को अपने करियर के सबसे यादगार मैचों में से एक करार देते हुए कहा, '' मुझे हॉलैंड में पाकिस्तान के खिलाफ 1982 चैंपियंस ट्रॉफी का मैच अब भी याद है। हम उस मैच के शुरुआती चरण में 0-3 से पीछे थे। हम हालांकि शानदार वापसी करने में सफल रहे और उस मुकाबले में 5-4 से जीते। राजिंदर सिंह जूनियर ने उस मैच में तीन गोल दागकर हमें यादगार जीत दिलाई थी।'
Ritisha Jaiswal
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