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कोरोना वायरस महामारी ने दिखा दिया है कि एक वायरस किस तरह पूरी दुनिया की रफ्तार पर रोक लगा सकता है। वैज्ञानिकों को डर है कि उन्होंने एक वायरस का पता लगा लिया है जो कोरोना की ही तरह महामारी बन सकता है। ये वायरस अफ्रीकी बंदरों में रहता है। इस वायरस का नाम सिमियन हेमोरेजिक फीवर वायरस (SHFV) है। इस वायरस से इबोला की तरह लक्षण देखने को मिलते हैं। ये वायरस आंतरिक रक्तस्राव पैदा करता है। ये इम्युन सिस्टम को पूरी तरह हाईजैक कर लेता है।
अमेरिकी शोधकर्ताओं के मुताबिक मनुष्यों में अभी तक इस वायरस का कोई मामला नहीं देखा गया है, लेकिन ये इंसानों में फैलने के लिए सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर दुनिया इसका परीक्षण विकसित कर ले और वायरस की निगरानी करे तो संभावित रूप से एक महामारी से बचा जा सकता है। कोलोराडो यूनिवर्सिटी बोल्डर के विशेषज्ञ SHFV का कहना है कि ये एक चेतावनी वाली स्थिति है।
लैब में किए एक अध्ययन में पाया गया कि वायरस आसानी से मानव रिसेप्टर तक पहुंचने की क्षमता रखता है और किसी भी इंसान के शरीर में अपनी आबादी बढ़ा सकता है। इस अध्ययन की वरिष्ठ लेखक डा. सारा सॉयर ने कहा, 'इस वारस ने मानव कोशिकाओं तक पहुंचने, खुद की आबादी बढ़ाने और कुछ महत्वपूर्ण प्रतिरक्षा तंत्र जो हमें पशुओं से आने वाले वायरस से बचाता है उनसे बचने का तरीका खोज लिया है। ये दुर्लभ है और हमें इस पर ध्यान देने की जरूरत है।'
मकाक (Macaque) बंदरों में SHFV वायरस से बुखार आता है। शरीर के ऊतकों में द्रव का इकट्ठा होना, एनोरेक्सिया और रक्तस्राव होता है। दो हफ्तों में ये वायरस शरीर के लिए जानलेवा हो सकता है। शोधकर्ताओं का मानना है कि ये HIV की तरह ही प्रतिरक्षा कोशिकाओं पर हमला करता है। माना जाता है कि ये अफ्रीका के चिंपांजी बंदरों में पैदा हुआ। शोध के लेखक प्रोफेसर कोडी वारेन ने कहा इस वायरस और HIV महामारी को जन्म देने वाले सिमियन वायरस के बीच समानताएं हैं। उन्होंने आगे कहा कि अगर हमें इंसानों में इसका कोई मामला नहीं मिला है तो इसका ये मतलब नहीं कि ये वायरस इंसानों में नहीं फैल सकता।
क्रेडिट ; navbharattimes