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जोम्बी कोशिकाएं के बारे में
जोम्बी कोशिकाएं (Zombie Cells) आसानी से नहीं मरती हैं और उम्र के साथ ये बढ़ती भी जाती हैं. इस तरह की कोशिकाएं सेहत (Health) के लिए फायदेमंद भी हो सकती हैं क्योंकि इनसे पास की कोशिकाओं में कैंसर वाली कोशिका (Cancer Cells) में बदलने का खतरा कम हो जाता और और वे कैंसर कोशिकाओं को हटाने के ले प्रतिरोधी कोशिकाओं को भी आकर्षित करती हैं.
कोशिका विज्ञान के अनुसार मानव कोशिकाओं (Human Cells) में असामान्य बदलाव उन्हें कैंसर कोशिका (Cancer Cells) में बदल सकता है. अनुवांशिकी पदार्थों में नुकसान होने के कारण होने वाला बदलाव म्यूटेशन पैदा कर देता है जिससे कोशिका विभाजन अनियंत्रित हो जाता है जिससे कैंसर की स्थिति बनती है. लेकिन कोशिकाओं में क्रोमोजोम के अंत में होने वाला नुकसान जोम्बी कोशिकाओं (Zombie Cells) को पैदा कर सकता है. ये वे कोशिका होती हैं जो जिंदा तो रहती हैं, लेकिन काम नहीं कर पाती हैं.
विभाजन से पहले कोशिकाओं का डीएनए प्रोटीन से बंध कर क्रोमोजोम्स बनाता है जो अनुवांशिक पदार्थ को सहारा देते हैं क्रोमोजोम (Chromosomes) के अंत में टेलोमर्स (Telomeres) होते हैं अनुवांशिक पदार्थ को नुकसान से बचाने का काम करते हैं. लेकिन कोशिका विभाजन के पर ये टेलोमर्स छोटे होते जाते हैं इससे डीएनए को संरक्षित करने की क्षमता भी कम होती जाती है. नेचर स्ट्रक्टरल एंड मॉलीक्यूलर बायोलॉजी में प्रकाशित शोध के अनुसार ऐसे में नुकासन होने पर अनुवांशिक पदार्थ में म्यूटेशन होता है और इसका नतीजा कैंसर (Cnacer) तक हो सकता है.
कोशिकाएं (Human Cells) कैंसर वाली कोशिका (Cancer Cells) बनने से बचती हैं जब उनके टेलोमर्स बहुत से विभाजन के कारण बहुत छोटे हो जाते हैं और उनमें नुकसान का खतरा बढ़ जाता है. लेकिन जोम्बी जैसी अवस्था में जाने से सेल्युलर सेंसेन्स प्रक्रिया द्वारा विभाजन रुक जाता है. मरने या खत्म होने का प्रतिरोध होने के कारण ऐसे जोम्बी कोशिकाएं (Zombie Cells) उम्र के साथ जमा होने लगती हैं. ये कोशिकाओं को कैंसर कोशिका बनने के जोखिम से बचाती हैं और प्रतिरोध कोशिकाओं को आकर्षित करती हैं. जिससे कैंसर कोशिकाएं साफ हो सकें. लेकिन वे उपचार क्रिया को बाधित कर ट्यूमर वृद्धि को भी बढ़ावा दे सकती हैं.
शोधकर्ता जानना चाहते थे कि क्या टेलोमर्स (telomeres) को सीधा नुकसान जोम्बी कोशिकाओं (Zombie Cells) के निर्माण के लिए पर्याप्त है. उन्होंने लैब में बनी मानव कोशिकाओं के टेलोमर्स से प्रोटीन को(Protein) जोड़ा उसके बाद उनहोंने प्रोटीन से डाइ को जोड़ा जिससे वे प्रकाश के प्रति संवेदनशील बन गईं. प्रकाश पड़ने से कोशिकाएं प्रोटीन कोऑक्सीजन फ्री रेडिकल्स पैदा करते हैं जो डीएनए को नुकसान पहुंचाते हैं.
शोधकर्ताओं ने पायाकि टेलोमर्स (Telomeres) को सीधा नुकसान कोशिकाओं को जोम्बी (Zombie) बनाने के लिए पर्याप्त है. ऐसा तब भी होता है जब सुरक्षा कवच छोटा नहीं होता है. टेलोमर्स उम्र के साथ छोटे होते जाते हैं. वे निश्चित लंबाई पर पहुंचने पर कोशिकाओं को जोम्बी बनाकर उनके विभाजन की बारम्बारता को सीमित करते हैं लेकिन फ्री रेडिकल (Free Radials) का प्रभाव टेलोमर के कम होने की प्रक्रिया को तेज कर देता है. जिससे कैंसर कई बीमारियां जन्म लेती हैं.
शोधकर्ता टेलोमर्स (Telomeres) को नुकसान से बचाने और जोम्बी कोशिकाओं (Zombie Cells) के जमा होने से बचाने के लिए उनके उपचार आदि का अध्ययन कर रहे हैं. बहुत से अध्ययनों में पता चला है कि जोम्बी कोशिकाओं को हटाना सेहतमंद एजिंग (Healthy Aging) को बढ़ावा दे सकता है. इससे दिमाग की कार्यप्रणाली भी बेहतर हो सकती है. शोधकर्ताओं ने जोम्बी कोशिकाओं को मारने वाली दवाएं भी विकसित की हैं. लेकिन स अध्ययन ने इस टेलोमर नुकसान के नतीजों पर ज्यादा ध्यान दिया है. अब अध्ययनकर्ता दूसरीकोशिकाओं पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन करेंगीं.
Gulabi Jagat
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