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नई दिल्ली, (आईएएनएस)| आईआईटी के छात्रों व शोधकर्ताओं ने एक नया फोटोवोल्टिक मटीरियल विकसित किया है, जो घर पर रोशनी के किसी स्रोत जैसे एलईडी या सीएफएल की रोशनी के साथ इरैडियेट किए जाने पर बिजली उत्पन्न कर सकता है।
आईआईटी मंडी द्वारा किए गए शोध के निष्कर्ष सोलर एनर्जी नामक जर्नल में प्रकाशित किए गए हैं। आईआईटी मंडी के डॉ. रणबीर सिंह और डॉ. सतिंदर कुमार शर्मा ने राष्ट्रीय सौर ऊर्जा संस्थान (एनआईएसई), गुरुग्राम के डॉ. विक्रांत शर्मा, गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय, ग्रेटर नोएडा के डॉ. विवेक कुमार शुक्ला और नॉर्थ टेक्सस विश्वविद्यालय, डेंटन, यूएसए के मृत्युंजय पराशर के साथ मिल कर यह शोधपत्र प्रकाशित किया है।
आज के समाज में इस टेक्नोलॉजी का चलन तेजी से बढ़ रहा है। मोबाइल फोन, स्मार्ट होम और अन्य एप्लीकेशंस में आईओटी डिवाइस का उपयोग हो रहा है, जिसके लिए विभिन्न प्रकार के रीयल-टाइम डेटा चाहिए। इसके लिए जरूरी है कि आईओटी डिवाइस बिजली आपूर्ति के लिए विद्युत ग्रिड पर निर्भर हुए बिना स्वतंत्र रूप से काम करें जबकि वर्तमान में ऐसे डिवाइस को बिजली आपूर्ति प्राइमरी और सेकेंडरी बैटरी से होती है। लेकिन बैटरियां चाहे किसी प्रकार की हों सभी एक सीमित समय के बाद काम बंद कर देती हैं और ये न तो सस्ता हैं और न ही पर्यावरण के लिए सुरक्षित।
आआईटी मंडी के मुताबिक ऐसे डिवाइस को पावर देने के लिए प्रकाश से काम करने वाले पावर जनरेटरों के बेहतर विकल्प बनने की संभावना दिख रही है। सोलर सेल सूरज की रोशनी से बिजली पैदा करते हैं, लेकिन चूंकि कई आईओटी का उपयोग घर के अंदर होता है इसलिए सोलर पावर एक विकल्प नहीं हो सकता है। ऐसे में घर के अंदर मौजूद रोशनी के स्रोत से रोशनी प्राप्त करने की विधियां ढूंढना कारगर विकल्प होगा जिसके माध्यम से घर के अंदर के विभिन्न डिवाइस जैसे सेंसर, गैजेट्स, वाई-फाई राउटर, आरएफआईडी रीडर इत्यादि से पर्याप्त पावर प्राप्त किया जा सकता है।
डॉ. रणबीर सिंह ने बताया कि एक साथ कई संस्थानों की टीम ने मिल कर थिन-फिल्म फोटोवोल्टिक सेल विकसित किए हैं जो किसी प्रकार के प्रकाश से पावर पैदा कर सकते हैं। ये सेल्स पेरोवस्काइट्स पर आधारित हैं जो सूरज की रोशनी ग्रहण कर उससे पावर पैदा करने में सक्षम एक क्रिस्टल फैमिली है। सौर ऊर्जा पैदा करने के लिए लंबे समय से पेरोवस्काइट्स पर शोध किया जा रहा है। शोधकतार्ओं की यह टीम नए पेरोवस्काइट मटीरियल का पता लगाने में कामयाब रही है जिनका उपयोग केवल सूरज की रोशनी नहीं बल्कि घर के अंदर के कृत्रिम प्रकाश के माध्यम से भी किया जा सकता है।
डॉ. रणबीर सिंह ने बताया, हम ने मिथाइलअमोनियम लेड आयोडाइड (एमएपीबीआई 3) पेरोवस्काइट्स मटीरियल में फॉर्मेमिडीनियम (एफए प्लस ) कटायन का समावेश कर फोटोएक्टिव क्वैसी - क्यूबिक स्ट्रक्च र्ड पेरोवस्काइट मटीरियल का सिंथेसिस किया है।
आईआईटी के मुताबिक निकट भविष्य में घर के अंदर की रोशनी से ऊर्जा प्राप्त करने का चलन तेजी से बढ़ेगा क्योंकि स्वास्थ्य और स्वास्थ्य पर निगरानी रखने वाले एप्लीकेशन, स्मार्ट होम, लॉजिस्टिक्स, स्मार्ट मैन्युफैक्च रिंग आदि स्मार्ट डिवाइस का उपयोग बहुत तेजी से बढ़ रहा है।
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