विज्ञान

चीन की रोबोट मछलियां बनेंगी महासागरों में जमा माइक्रोप्लास्टिक का समाधान

Subhi
14 July 2022 5:20 AM GMT
चीन की रोबोट मछलियां बनेंगी महासागरों में जमा माइक्रोप्लास्टिक का समाधान
x
पर्यावरण के लिए माइक्रोप्लास्टिक (Microplastics) वैज्ञानिकों के लिए नया सिरदर्द है. महासागरों की गहराइयों में माइक्रोप्लास्टिक पहुंच कर ना केवल समुद्री जीवन के लिए संकट बना हुआ है

पर्यावरण के लिए माइक्रोप्लास्टिक (Microplastics) वैज्ञानिकों के लिए नया सिरदर्द है. महासागरों की गहराइयों में माइक्रोप्लास्टिक पहुंच कर ना केवल समुद्री जीवन के लिए संकट बना हुआ है, बल्कि समुद्री भोजन के जरिए वह इंसानों तक में पहुंचने लगा है. प्लास्टिक इतने व्यापक रूप में फैल रहा है कि पर्यावरणविदों के लिए यह चिंता का विषय हो गया है कि इसे कैसे हटाया जाए. चीन के वैज्ञानिक इसी समस्या का समाधान लेकर आए हैं. उन्होंने ऐसी रोबोट मछली (Robot Fish) विकसित की है जो माइक्रोप्लास्टिक को खा सकती है जो कभी दुनिया के प्रदूषण महासागरों (Marine Pollution) को साफ करने में सहायक हो सकती हैं.

नई नहीं हैं रोबोट मछलियां

रोबोट मछली की अवधारणा नई नहीं हैं. ये बायोनिक रोबोट होती हैं जिनका आकार और पानी में गतिविधि जिंदा मछलियों की तरह होती है. रिपोर्ट्स के मुताबिक करीब 40 प्रकार की अलग अलग ऐसी मछलियां विकसित की जा चुकी हैं. 30 डिजाइन की ऐसी मछलियों में केवल पानी में तैरने और पलटने की क्षमता होती है.

विशेष तरह की रोबोट मछली

दक्षिणपश्चिम चीन की सिचुआन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों की टीम ने इस विशेष रोबोट मछली को विकसित किया है जो दूसरे रोबोट मछलियों से काफी हटकर हैं. ये जीवित मछलियों की तरह ही छूने में नाजुक होती है और इनकी लंबाई केवल 1.3 सेंटीमीटर या आधी इंच की ही होती है. इनके अंदर ऐसी व्यवस्था की गई है जिससे वे माइक्रोप्लास्टिक खा सकती हैं.

माइक्रोप्लास्टिक से मुक्ति में सहायक

शोधकर्ताओं ने पहले ही इन मछलियों की कारगरता का परीक्षण कर लिया है और माइक्रोप्लास्टिक से मुक्ति पाने में बहुत मददगार हो सकती हैं. ये माइक्रोप्लास्टिक को अवशोषित करती हैं और उन्हें उथले पानी में ही रखती है जिससे वे महासागरों में दूर गहराई में नहीं जा पाते हैं. वे बड़ी मात्रा में माइक्रोप्लास्टिक को 'खा' सकती हैं.

जानकारी भी दे सकती हैं ये मछलियां

शोधकर्ताओं का मुख्य लक्ष्य मछलियों को माइक्रोप्लास्टिक इकट्ठा करने के काबिल बनाना था जिससे वे गहरे पानी में जाकर माइक्रोप्लास्टिक निकाल सकें जो कि फिलहाल असंभव के ही बराबार है. ये मछलियां प्लास्टिक जमा करने के साथ ही समुद्री प्रदूषण के विश्लेषण संबंधी बहुत सारी जानकारी भी उपलब्ध करा सकती हैं.

और भी हैं उपयोग

शोधकर्ताओं ने बताया कि उन्होंने इन्हें छोटे रूप में भी विकसित किया है कि इनका कई तरह से उपयोग हो सकता है. इनमें जैविचिकित्सकीय या हानिकारक कामों में इस्तेमाल हो सकता है. जैसे ये शरीर के हिस्से में जाकर कुछ बीमारियों का इलाज तक कर सकती हैं. इसके अलावा रोबोट मछलियां अपने आकार के 2.76 गुना लंबाई के प्रति सेकेंड की गति से चल सकती हैं जो अधिकांश कृत्रिम रोबोट मछलियों से ज्यादा तेज है.

बाहर से किया जा सकता है नियंत्रित

इन रोबोट मछलियों की एक और विशेषता यह भी है कि वे प्रदूषकों को अवशोषित तो करती हैं लेकिन अगर वे बहुत खराब हुए तो उनके दुष्प्रभाव से भी खुद उबरने में सक्षम होती है. इन मछलियों को पानी के बाहर से भी नियंत्रित किया जा सकता है जिससे वे किसी दूसरी बड़ी मछली या जहाज से ना टकराएं.

अगर गलती से कोई जीव इन मछलियों को खा भी तो इनका शरीर पॉलीयूरीथेन से बना होता है जिससे इन्हें आसानी से पचाया जा सकता है. इस लिहाज से ये मछलियां पर्यावरण के बहुत अनुकूल हैं. इन मछलियों को बार बार उपयोग में लाया जा सकता है. इससे वास्तविक समय में माइक्रोप्लास्टिक को जमा करने का काम कारगरता से किया जा सकेगा और बड़ी संख्या में इनका उपयोग एक दिन महासागरों को माइक्रोप्लास्टिक से मुक्त कर सकता है.

Next Story