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- क्या पृथ्वी को मौजूदा...
जुलाई 2000 में पहली बार चीनी पत्रिका 'साइंस फिक्शन वर्ल्ड' में प्रकाशित हुई लियू सिक्सिन की कहानी 'द वांडरिंग अर्थ' एक ऐसी घटना को प्रदर्शित करती है जिसमें एक विनाशकारी सौर आंधी से बचने के लिए वर्ल्ड लीडर्स मिलकर पृथ्वी को सौर मंडल से बाहर निकालने के लिए सहमत हो जाते हैं. हालांकि यह एक साइंस फिक्शन (कल्पना) है. लेकिन क्या ऐसा संभव है कि हम पृथ्वी को अपने सौरमंडल से बाहर निकाल सकें? साइंस जर्नल स्पेस डॉट कॉम में छपे के एक लेख के मुताबिक वैज्ञानिक इसे संभव तो नहीं लेकिन असंभव भी नहीं मानते हैं.
यूके में ग्लासगो विश्वविद्यालय में एक एयरोस्पेस इंजीनियर और स्पेस सिस्टम इंजीनियरिंग लेक्चरर माटेओ सेरियोटी ने बताया कि ऐसा संभव है कि पृथ्वी अपने सौरमंडल से बाहर चली जाए. सेरियोटी के अनुसार पृथ्वी इंटरस्टेलर ऑब्जेक्ट की वजह से अपने सौरमंडल से बाहर जा सकती है. जब इंटरस्टेलर ऑब्जेक्ट इंटरस्टेलर स्पेस से होता हुआ पृथ्वी के पास से गुजरेगा जो पृथ्वी अपने तय पथ से हट सकती है.
उन्होंने आगे कहा कि इस करीबी एनकाउंटर में, जिसे 'फ्लाईबाई' के रूप में जाना जाता है, पृथ्वी और ऑब्जेक्ट आपस में ऊर्जा और गति का आदान-प्रदान करेंगे, जिससे पृथ्वी की कक्षा बाधित हो जाएगी. यदि ऑब्जेक्ट तेज, विशाल और काफी करीब होगा तो वह पृथ्वी को सौर मंडल के बाहर प्रक्षेपित कर सकता है.
क्या है इंटरस्टेलर ऑब्जेक्ट और स्पेस ?
नासा के मुताबिक 'इंटर' का अर्थ है बीच में और 'स्टेलर' सितारों को दर्शाता है. मतलब इंटरस्टेलर स्पेस अंतरिक्ष का वह हिस्सा है जो सितारों के बीच मौजूद है. वहीं इंटरस्टेलर ऑब्जेक्ट (एक तरह का एस्टेरॉयड और कॉमेट) इंटरस्टेलर स्पेस में एक एस्ट्रोनॉमिकल ऑब्जेक्ट है जो किसी भी तारे के गुरुत्वाकर्षण से बंधा नहीं होता.
सौरमंडल के बाहर पृथ्वी को भेजा जा सकता है!
यूके में कार्डिफ विश्वविद्यालय में भौतिकी और खगोल विज्ञान के एक वरिष्ठ व्याख्याता टिमोथी डेविस ने सहमति व्यक्त की कि पृथ्वी को सैद्धांतिक रूप से सौर मंडल से बाहर किया जा सकता है और यह कैसे हो सकता है, इसके बारे में उनकी अपनी परिकल्पना है.
डेविस ने एक ईमेल में लाइव साइंस को बताया कि अभी तक सभी गृह सूर्य के चारों ओर अपनी स्थिर कक्षाओं में हैं. हालांकि, अगर सूर्य की किसी अन्य तारे के साथ ताकतवर मुठभेड़ होती है, तो इन पिंडों का गुरुत्वाकर्षण इंटरेक्शन पृथ्वी को सौरमंडल से बाहर फेंक सकता है. हालांकि, डेविस ने कहा कि यह अविश्वसनीय रूप से संदिग्ध है कि ऐसा कभी निकट भविष्य में संभव होगा. डेविस के मुताबिक ऐसा समय लगभग दस लाख वर्षों में एक बार आता है जब किसी तारे के सूर्य के काफी करीब आने की उम्मीद हो.
पृथ्वी को सौरमंडल से हटाने में कितनी ऊर्जा लगेगी?
वैज्ञानिकों के अनुसार ऐसा करने के लिए के एक ही समय पर कम से कम सेक्स्टिलियन मेगाटन परमाणु विस्फोट जितनी ऊर्जा की जरूरत पड़ेगी. एक सेक्स्टिलियन में एक के बाद 21 जीरो लगाए जाते हैं. इतनी भारी ऊर्जा पैदा होना असंभव कार्य है. फिर भी इतनी ऊर्जा पैदा करने के बाद अगर हम पृथ्वी को उसकी कक्षा से बाहर निकाल देते है तो इसका हमारे ऊपर क्या प्रभाव पड़ेगा?
वैज्ञानिकों ने बताया कि अगर ऐसा कभी होता है तो पृथ्वी किसी अन्य तारे या ब्लैक होल द्वारा अपने अंदर समाहित किए जाने या निगलने तक इंटरस्टेलर स्पेस में घूमती रहेगी. परिणामस्वरूप पृथ्वी का तापमान तुरंत और नाटकीय रूप से बदल जाएगा जिससे प्रभावी रूप से मौजूद वातावरण नष्ट हो जाएगा. डेविस के अनुसार ऐसा होने से चंद क्षणों में पृथ्वी में प्रलय जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाएगी. पृथ्वी का तापमान देखते ही देखते माइनस 382 डिग्री फ़ारेनहाइट हो जाएगा जिससे सभी जीवन पूरी तरह नष्ट हो जाएगा.