विज्ञान

शोध में हुआ बड़ा खुलासा- चॉकलेट बॉक्स की तरह होते हैं न्यूट्रॉन तारे

Subhi
18 Nov 2022 5:14 AM GMT
शोध में हुआ बड़ा खुलासा- चॉकलेट बॉक्स की तरह होते हैं न्यूट्रॉन तारे
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ब्रह्माण्ड के कई पिंडों के बारे में जानना बहुत मुश्किल होता है. अभी तक हम केवल सुदूर पिंडों से आने वाली तरंगों के द्वारा ही उनके बारे में उनकी भौतिकी के बारे में अनुमान लगा पता हैं. करोड़ों अरबों तारों की अलग अलग अवस्थाओं का अवलकोन हम तारों के जीवन चक्र (Life Cycle of Stars) के बारे में समझ सके हैं.

ब्रह्माण्ड के कई पिंडों के बारे में जानना बहुत मुश्किल होता है. अभी तक हम केवल सुदूर पिंडों से आने वाली तरंगों के द्वारा ही उनके बारे में उनकी भौतिकी के बारे में अनुमान लगा पता हैं. करोड़ों अरबों तारों की अलग अलग अवस्थाओं का अवलकोन हम तारों के जीवन चक्र (Life Cycle of Stars) के बारे में समझ सके हैं. फिर भी न्यूट्रॉन स्टार या ब्लैक होल जैसे पिंडों के अंदर क्या है यह जानना बहुत ही मुश्किल है. लेकिन नए अध्ययन में चौंकाने वाली जानकारी निकाली है कि न्यूट्रॉन तारे (Neutron Stars) वास्तव में एक चॉकलेट बॉक्स (Chocolate Box) की तरह होते हैं.

चिपचिपे या बहुत ठोस

नए अध्ययन में पाया गया है कि न्यूट्रॉन तारे जो ब्रह्माण्ड के सबसे घने पिंडों में से एक होते हैं, उनके केंद्र चॉकलेट की तरह या तो चिपचिपे होते हैं या फिर ठोस होते हैं. न्यूट्रॉन तारे किस तरह के पदार्थ के पिंड होते हैं यह अभी तक पता नहीं चल सका है. फिर भी इस सैद्धांतिक शोधकार्य ने चौंकाने वाला खुलासा किया है जो इस तरह के पिंड के बारे में जानने के दिशा में एक अलग कदम कहा जा सकता है.

कैसे बनते हैं न्यूट्रॉन तारे

न्यूट्रॉन तारे बहुत ही अजीब तरह के अविश्वसनीय से पिंड होते हैं. जहां ब्लैक होल ब्रह्माण्ड के सबसे घने पिंड होते हैं तो उनके बाद दूसरा स्थान न्यूट्रॉन तारों का होता है. एक बार सूर्य के भार से 3 से 30 गुना ज्यादा भार के तारे का ईंधन खत्म हो जाता है, उसका क्रोड़ अपने ही गुरुत्व के प्रभाव के कारण सिकुड़ने लगता है और गैस बाहर निकलने लगतीहै जिसके नतीजे में न्यूट्रॉन तारा बनता है जिसका भार सूर्य के भार से 2.3 गुना कम हो जाता है लेकिन उसका आकार 20 किलोमीटर के व्यास के गोले जैसा हो जाता है.

जानना मुश्किल पर कई थ्योरी हैं

न्यूट्रॉन तारों का इतना ज्यादा संघनन होता है कि यह पता लगाना असंभव ही है कि उसके अंदर पदार्थ की क्या स्थिति रहती है. लेकिन वैज्ञानिक उन तरीकों की खोजने का प्रयास कर रहे हैं जिससे प्रत्यक्ष नहीं तो अप्रत्यक्ष रूप से ही इनके बारे में कुछ जानकारी मिल सके. इस बारे में कई थ्योरी प्रस्तावित भी की गई हैं लेकिन उन्हें सिद्ध किया जा सका है.

अलग अलग राय

कुछ का प्रस्ताव है कि इस तारे का केंद्र सिकुड़ता रहता है जब जबक कि उसका आकार पास्ता की तरह नहीं हो जाता है. अन्य सुझाती हैं की तारे की और गहराई में दबाव इतना ज्यादा हो जाता है कि परमाणुओं के केंद्रक ही अस्तित्व में रह जाते हैं. और वहां क्वार्क पदार्थ का एक सूप जैसे बन जाता है. अब जर्मनी की गोथे यूनिवर्सटी के सैद्धांतिक भैतिकविद ल्यूसियानो रेजोला के अगुआई मे हुए अध्ययन में अनोखा नतीजा निकाला है.

लाखों समीकरण

रेजला ने अपने अध्ययन में खोजा है कि गैसे न्यूट्रॉन तारे उन अलग-अलग चॉकलेट की तरह हो सकते हैं जिनके अंदर तरह-तरह कि फिलिंग्स होती हैं. इस अध्ययन के लिए टीम ने सैद्धांतिक भौतिकी और खगलोभैतिकी अवलोकनों की मदद से करी दस लाख अवस्था के समीकरण का समूह बनाया. एक तंत्र में इन समीकरणों का संबंध तापमान, दबाव और आयतन से हैं जो कि इस मामले में एक न्यूट्रॉन तारा था.

ध्वनि तरंगों का कमाल

इसके जरिए टीन ने न्यूट्रॉन तारे के अंदर ध्वनि की गति के पैमाने पर निर्भर व्याख्या विकसित की. ध्वनिकी गति तारे से लेकर ग्रह कतक किसी भी पिंड की आंतरिक संरचना का खुलासा कर सकती है. जिस तरह पृथ्वी और अब मंगल ग्रह पर भी भूकंपीय तरंगें अलग-अलग घनत्व वाले पदार्थों से गुजरते हुए उनकी संरचना और परतों की जानकारी का खुलासा करती हैं ध्वनि तरंगे भी तारों से टकराकर वापस आकर बताती हैं कि उनके अंदर क्या हो रहा है.

शोधकर्ताओं पाया कि उनके अवस्था के समीकरण न्यूट्रॉन तारे की संरचना पर लागू करने पर अनियमित मान दे रहे हैं. इससे ऐसे लगाता है कि हलके तारे वाले न्यूट्रॉन तारों का मेंटल पिघली हुई चॉकलेट की तरह और उसका क्रोड़ ठोस होता है जबकि भारी तारों वाले न्यूट्रॉन तारों में स्थिति विपरीत होती है. इस तरह से इस अध्ययन के नतीजे सभी तरह के नतीजों का समावेश करती दिखती है.


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