विज्ञान

मंगल पर चांदी की तरह दिखने वाले रहस्यमय पदार्थ को लेकर बड़ा खुलासा

Subhi
16 Aug 2022 2:26 AM GMT
मंगल पर चांदी की तरह दिखने वाले रहस्यमय पदार्थ को लेकर बड़ा खुलासा
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सात साल पहले मंगल ग्रह पर रहस्यमय खनिज मिला था। इस खनिज ने अपनी खोज के साथ ही वैज्ञानिकों को हैरान कर दिया था। अब शोधकर्ता मान रहे हैं कि उन्होंने इसके निर्माण से जुड़े रहस्य को खोज निकाला है।

सात साल पहले मंगल ग्रह पर रहस्यमय खनिज मिला था। इस खनिज ने अपनी खोज के साथ ही वैज्ञानिकों को हैरान कर दिया था। अब शोधकर्ता मान रहे हैं कि उन्होंने इसके निर्माण से जुड़े रहस्य को खोज निकाला है। शोधकर्ता मान रहे हैं कि पृथ्वी पर आम तौर से पाया जाने वाला ये खनिज लाल ग्रह पर 3 अरब साल पहले एक ज्वालामुखी विस्फोट के दौरान बाहर निकला होगा। नासा के क्यूरियोसिटी रोवर ने 30 जुलाई 2015 को 154 किमी चौड़े एक क्रेटर के बीच में एक चट्टान के अंदर खनिज खोजा था।

रोवर ने चट्टान में एक छोटा सा छेद बनाया था, जिसके अंदर से चांदी की तरह चमकने वाला एक धूल निकला था। क्यूरियोसिटी के ऑनबोर्ड एक्स-रे प्रयोगशाला ने पाया कि ये ट्राइडीमाइट (Tridymite) है। ये एक दुर्लभ प्रकार का क्वार्ट्ज है जो पूरी तरह से सिलिकॉन डाइऑक्साइड, या सिलिका से बना होता है। कुछ ज्वालामुखी गतिविधियों के कारण ये बनता है। मंगल पर ये एक ऐसी खोज थी, जिसकी वैज्ञानिकों को बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी।

ह्यूस्टन में राइस यूनिवर्सिटी के एक ग्रह वैज्ञानिक और नासा के एक मिशन विशेषज्ञ सह-लेखक कस्टर्न सीबैक का कहना है कि, 'गेल क्रेटर में ट्राइडीमाइट की खोज सबसे आश्चर्यजनक चीजों में से एक है, जिसे क्यूरियोसिटी ने पिछले 10 वर्षों में किया है।' शोधकर्ताओं ने कहा कि इस शोध से चौंकने के दो प्रमुख कारण हैं। सबसे पहला ये कि मंगल की ज्वालामुखी गतिविधि को ट्राइडीमाइट जैसे सिलिका युक्त खनिजों के लिए अनुपयुक्त माना जाता था। दूसरा ये कि गेल क्रेटर को वैज्ञानिक एक प्राचीन झील मानते हैं और इसके पास कोई ज्वालामुखी नहीं है।

नई शोध में क्या हुआ खुलासा

नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने एक स्पष्टीकरण दिया है। शोधकर्ताओं को संदेह है कि एक अज्ञात ज्वालामुखी विस्फोट के कारण ट्राइडीमाइट की राख मंगल ग्रह के आकाश में गई होगी, जो तब गेल क्रेटर की प्राचीन झील में गिरी होगी। जब ट्राइडीमाइट पानी में गिरी होगी तो ये रासायनिक प्रोसेस के कारण अलग-अलग टुकड़ों में बंट गई होगी। शोधकर्ता मानते हैं कि शायद इसी कारण ट्राइडीमाइट का सैंपल इतना शुद्ध है। अगर पानी न होता और तब ये राख जमती और एक मोटी परत मिलती।


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