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ब्लैक होल (Black Hole) के आसपास की विशेष घटनाएं उन्हें एक खास पहचान देती हैं. लेकिन अधिकांश तारे के आकार के ब्लैक होल दिखाई नहीं देते हैं क्योंकि उनके आसपास भी ऐसी घटना नहीं होती जिससे उनकी पहचान हो सके. फिर भी खगोलविद से पिंडों की खोज करते रहते हैं. उन्हें ग्रेविटेशनल माइक्रोलेंसिंग घटनाओं (gravitational micro lensing events) से ऐसे ब्लैक होल की मौजूदगी का पता चलता है जहां ब्लैक हो चमकने लगते हैं और तारे से गैलेक्सी के केंद्र (Galactic Center) की ओर आ रहे प्रकाश को विकृत कर देते हैं. इसी तकनीक का उपयोग कर वैज्ञानिकों ने एक मुक्त विचरण करता हुआ ब्लैक होल खोजा है जिसकी पुष्टि के लिए वे और आंकड़े जुटा रहे हैं.
करोड़ों ब्लैक होल होंगे मिल्की वे में
यदि जैसे कि वैज्ञानिक मानते हैं कि विशाल तारों की मौत के बाद उनके अवशेषों से ब्लैक होल का निर्माण होता है, सही है तोफिर करोड़ों की संख्या में ब्लैक होल तो हमारी मिल्की वे में ही घूम रहे होंगे. लेकिन इनके साथ सबसे बड़ी समस्या यह है कि ये अकेले ब्लैक होल दिखाई नहीं देते हैं. लेकिन बर्केले की कैलिफोर्निया यूनिवर्सीटी की खोगलविदों की टीम ने पहली बार एक मुक्त यानि खुले में तैरते हुए ब्लैक होल की खोज की है.
प्रकाश की विकृति
खगोलविदों को यह सफलता सुदूर तारे से आने वाली रोशनी की चमक का अवलोकन कर की है जब वहां से आ रही रोशनी एक शक्तिशाली गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र वाले पिंड से विकृत हो रही थी. इस प्रक्रिया को ग्रेविटेशनल माइक्रेलेंसिंग कहते हैं. यूसी बर्केले में खगोलविज्ञान की एसोसिएट प्रोफेसर जैसिका लू और स्नातक छात्रा कैसी लाम की अगुआई में शोधकर्ताओं ने इस पिंड का भार सूर्य से 1.6 से 4.4 ज्यादा भार के बीच का आंकलित किया है.
कुछ और भी हो सकता है ये पिंड
चूंकि खगोलविदों को लगता है कि ब्लैक होल में सिमटने के लिए मृत तारे के अवशेष का भार 2.2 सौर भार से ज्यादा होना चाहिए, शोधकर्ता इस संभावना को खारिज नहीं कर पा रहे हैं कि यह पिंड ब्लैक होल की जगह न्यूट्रॉन तारा भी हो सकता है. न्यूट्रॉन तारे भी घने, और बहुत ही संघनित पिंड होते हैं, लेकिन उनका गुरुत्व आंतरिक न्यूट्रॉन दबाव के कारण संतुलित होता है और वे अधिक संकुचित होकर ब्लैक होल में नहीं बदलते.
इस तरह का पहला पिंड
चाहे ब्लैक होल हो या फिर एक न्यूट्रॉन तारा,यह पिंड पहला ऐसा तारकीय अवशेषों वाला एक तारकीय "दैत्य" पिंड होगा जो किसी दूसरे तारे से संबंद्ध हुए बिना गैलेक्सी में घूम रहा है. लू ने बताया कियह पहला मुक्त तैरता हुआ ब्लैक होल या न्यूट्रॉन तारा है जो ग्रैविटेशनल माइक्रोलेंसिंस के जरिए खोजा गया है
कई रहस्य खुल सकते हैं अब
शोधकर्ताओं ने माइक्रोलेंसंग के जरिए इस पिंड का खोज कर उसके भार का अनुमान भी लगाया. उनका कहना है कि यह इस तरह के खोए हुए पिंडों की खोज में नया आयाम खोलने वाली उपलब्धि होगी. गैलेक्सी में इनकी संख्या पता लगने से खगोलविदों की तारों के विकास की कहानी समझने में मदद मिलेगी. इससे शायद यह भी खुलासा हो सके क्यों क्या अनदेखे ब्लैक होल प्राइमोर्डियल ब्लैक होल हो सकते हैं. या नहीं. कई खगोलविदों को लगता है कि प्राइमोर्डियल ब्लैक होल बिग बैंग के समय में भारी संख्या में बने थे.