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हिंदू धर्म में वैसे तो कई सारे व्रत त्योहार मनाए जाते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है। लेकिन शिव के रौद्र रूप को समर्पित कालाष्टमी का व्रत बेहद ही खास माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन बाबा भैरव की पूजा अर्चना करने से सभी प्रकार की समस्याओं का अंत हो जाता है और सुख में वृद्धि होती है ये दिन भूत प्रेत बाधाओं व नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति के लिए भी खास माना जाता है
इस बार कालाष्टमी का व्रत 13 अप्रैल दिन गुरुवार यानी कल पड़ रहा है ऐसे में अगर इस दिन भैरव बाबा की विधिवत पूजा करके कालभैरव सहस्रनाम स्तोत्र का संपूर्ण पाठ किया जाए तो साधक को सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों व भूत प्रेत बाधाओं से मुक्ति मिलती है और सुख व सकारात्मकता की प्राप्ति होती है। तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं ये चमत्कारी पाठ।
कालभैरव सहस्रनाम स्तोत्र
नाम्नां सहस्रं दिव्यानां भैरवस्य महात्मनः ।
मया ते कथितं देवि रहस्यं सर्वकामदम् ॥ १७७॥
भैरवस्य वरारोहे वरं नामसहस्रकम् ।
पठते पाठयेद्यस्तु श्रुणुयात्सु समाहितः ॥ १७८॥
न तस्य दुरितं किञ्चिन्नमारी भयमेवच ।
न च भूतभयं किञ्चिन्न रोगाणां भयं तथा ॥ १७९॥
न पातकाद्भयं चैव शत्रुतो न भयं भवेत् ।
मारीभयं चोरभयं नाग्निव्याघ्रादिजं भयम् ॥ १८०॥
औत्पातिकं महाघोरं पठते यो विलीयते ।
दुःस्वप्नजे राजभये विपत्तौ घोरदर्शने ॥ १८१॥
स्तोत्रमेतत्पठेद्विद्वान्सर्वदुःखौघनाशनम् ।
सर्वप्रशममायाति सहस्रपरिकीर्तनात् ॥ १८२॥
एककालं द्विकालं वा त्रिकालमथवानिशी ।
पठेद्यो नियताहारः सर्वसिद्धि च विन्दति ॥ १८३॥
भूमिकामो भूतिकामः षण्मासं च जपेत्सुधीः ।
प्रतिकृत्या विनाशार्थं जपेत्रिशतमुत्तमम् ॥ १८४॥
मासत्रयेण सर्वेषां रिपूणामन्तको भवेत् ।
मासत्रयं जपेद्देवि निशिनिश्चलमानसः ॥ १८५॥
धनं पुत्रान् तथादारान् प्राप्नुयान्नात्र संशयः ।
महाकारागृहे बद्धपिशाचैः परिवारितः ॥ १८६॥
निगडैः श्रृङ्खलाभिश्च बन्धनं परमं गतः ।
पठेद्देवि दिवारात्रौ सर्वान्कामान्नवाप्नुयात् ॥ १८७॥
शतमावर्तनाद्देवि पुरश्चरणमुच्यते ।
यं यं कामयते कामं तं तं प्राप्नोति निश्चितम् ॥ १८८॥
सत्यं सत्यं पुनः सत्यं सत्यं सत्यं पुनः पुनः ।
सर्व कामः प्रदो देवि भैरवः सर्वसिद्धिदः ॥ १८९॥
सत्कुलीनाय शान्ताय ऋषये सत्यवादिन ।
स्तोत्रदानात्सु प्रहृष्टो भैरवोभून्महेश्वरः ॥ १९०॥
॥ इति श्रीउड्डामरे तन्त्रे उमामहेश्वरसंवादे कालभैरवसहस्रनामस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
Deepa Sahu
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