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हिंदू धर्म में वट सावित्री व्रत का विशेष महत्व है।
जनता से रिश्ता वेबडेसक | हिंदू धर्म में वट सावित्री व्रत का विशेष महत्व है। अखंड सौभाग्य के लिए महिलाओं का वट सावित्री व्रत मंगलवार से प्रारंभ हो रहा है। वट सावित्री की तिथि पर ग्रह नक्षत्र के उतार-चढ़ाव के कारण इस साल संशय की स्थिति बनी है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, 9 जून यानी बुधवार को महिलाएं अखंड सौभाग्य के लिए व्रत रखेंगी और जबकि इसके अगले दिन 10 जून यानी गुरुवार कि सुबह को वट वृक्ष में सूत्र बांधकर परिक्रमा की जाएगी। वट वृक्ष की पूजा के बाद महिलाएं पारण करेंगी। हालांकि कुछ महिलाएं 10 जून गुरुवार को ही वट सावित्री का उपवास रखेंगी, उसी दिन परिक्रमा करेंगी। अगले दिन 11 जून शुक्रवार को पारण करेंगी।
हिंदू पंचांग के अनुसार, बुधवार को 1 बजकर 58 मिनट तक चतुर्दशी है। इसके बाद अमावस्या लग जाएगी। बुधवार को अमावस्या लगने के कारण वट सावित्री व्रत आज भी किया जा सकता है। हालांकि उदया तिथि में व्रत को रखना व पूजा-अर्चना करना उत्तम माना जाता है।
10 जून को वट सावित्री व्रत के साथ साल का पहला सूर्य ग्रहण भी लगेगा। यह ग्रहण दोपहर 1 बजकर 42 मिनट से शुरू होगा, जबकि शाम 06 बजकर 41 मिनट पर समाप्त होगा। ग्रहण के दौरान पूजा-अर्चना की मनाही होती है। ऐसे में महिलाएं संशय में हैं कि 10 जून को वट पूजा करें या नहीं। आपको बता दें कि 10 जून को लगने वाला सूर्य ग्रहण भारत में नजर नहीं आएगा। साथ ही इसका भारत में प्रभाव भी नहीं दिखेगा। इस वजह से देश में सूतक काल मान्य नहीं होगा। ऐसे में हर साल की तरह व्रत को किया जा सकता है।
वट सावित्री व्रत का महत्व-
ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को सुहागिनें पति की लंबी आयु की कामना के लिए वट सावित्री व्रत रखती हैं। इस दिन वट यानी बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है। महिलाएं वट को कलावा बांधते हुए वृक्ष की परिक्रमा करती हैं।
Tara Tandi
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