धर्म-अध्यात्म

कब है शनि प्रदोष व्रत और क्या इसका महत्व

Ritisha Jaiswal
17 April 2021 11:53 AM GMT
कब है शनि प्रदोष व्रत और क्या इसका  महत्व
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चैत्र मास के शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत आने वाला है। इस बार का प्रदोष व्रत शनिवार के दिन पड़ रहा है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | चैत्र मास के शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत आने वाला है। इस बार का प्रदोष व्रत शनिवार के दिन पड़ रहा है, इसलिए यह शनि प्रदोष व्रत है। प्रत्येक मास की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत होता है। एक माह में दो बार प्रदोष व्रत आता है, एक शुक्ल पक्ष में और दूसरा कृष्ण पक्ष में। इस बार शनि प्रदोष व्रत 24 अप्रैल को है। इस दिन प्रदोष काल में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाएगी। जागरण अध्यात्म में आज हम जानते हैं शनि प्रदोष व्रत की तिथि, पूजा मुहूर्त एवं महत्व के बारे में।

शनि प्रदोष व्रत 2021 तिथि
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ 24 अप्रैल दिन शनिवार को शाम 07 बजकर 17 मिनट से हो रहा है, जो 25 अप्रैल को शाम 04 बजकर 12 मिनट तक है। ऐसे में देखा जाए तो प्रदोष काल 24 अप्रैल को ही प्राप्त हो रहा है। ऐसे में प्रदोष व्रत 24 मार्च को रखा जाएगा।
शनि प्रदोष पूजा मुहूर्त
शनि प्रदोष की पूजा के लिए आपको 01 घंटा 46 मिनट का समय प्राप्त होगा। आप उस दिन शाम को 07 बजकर 17 मिनट से रात 09 बजकर 03 मिनट के मध्य तक शनि प्रदोष की पूजा कर सकते हैं। इस मुहूर्त में भगवान शिव की पूजा करना उत्तम होगा।

शनि प्रदोष व्रत का महत्व
वैसे तो सभी प्रदोष व्रत भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए उत्तम होते हैं, लेकिन शनि प्रदोष व्रत का विशेष महत्व होता है। शनि प्रदोष व्रत के प्रभाव से नि:संतान लोगों को या फिर नवदंपत्तियों को संतान की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शनि प्रदोष व्रत करने से संतान सुख प्राप्त होता है। प्रदोष व्रत की पूजा में आपको भगवान शिव को उनका प्रिय बेलपत्र, भांग, धतूरा, मदार, गाय का दूध, सफेद चंदन, सफेद फूल, मौसमी फल आदि अर्पित करना चाहिए। शिव चालीसा का पाठ और शिव मंत्रों का जाप करने से भी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस दिन प्रदोष व्रत की कथा का श्रवण अवश्य करना चाहिए।


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